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क्या आप भारत के सभी वेतन आयोगों का इतिहास जानते हैं?

भारत में अब तक कुल 7 वेतन आयोग लागू किए जा चुके हैं। हर वेतन आयोग का उद्देश्य केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन करना रहा है। यहां प्रत्येक वेतन आयोग और उनके लागू होने की तिथियों का विवरण दिया गया है:

पहला वेतन आयोग (1946)

स्थापना: 1946

लागू हुआ: 1947

अध्यक्ष: श्री नंदलाल चोपड़ा

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन 55 रुपए प्रति माह निर्धारित किया गया।

वेतन में असमानता को कम करने का प्रयास।

दूसरा वेतन आयोग (1957)

स्थापना: 1957

लागू हुआ: 1959

अध्यक्ष: जे.एन. पायने

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन 80 रुपए प्रति माह किया गया।

ग्रेड पे की संरचना को संशोधित किया गया।

तीसरा वेतन आयोग (1970)

स्थापना: 1970

लागू हुआ: 1973

अध्यक्ष: आर. फजल अली

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 185 रुपए प्रति माह किया गया।

पेंशन और अन्य भत्तों में संशोधन।

चौथा वेतन आयोग (1983)

स्थापना: 1983

लागू हुआ: 1986

अध्यक्ष: पी. एन. सिंह

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 750 रुपए प्रति माह किया गया।

पेंशन और महंगाई भत्ते में सुधार।

पांचवां वेतन आयोग (1994)

स्थापना: 1994

लागू हुआ: 1997

अध्यक्ष: रत्नम

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 2,550 रुपए प्रति माह किया गया।

सरकारी कर्मचारियों की भत्तों और प्रमोशन में बड़े बदलाव।

छठा वेतन आयोग (2006)

स्थापना: 2006

लागू हुआ: 2008

अध्यक्ष: बी.एन. श्रीकृष्णा

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 7,000 रुपए प्रति माह किया गया।

फिटमेंट फैक्टर को पहली बार लागू किया गया।

सातवां वेतन आयोग (2016)

स्थापना: 2014

लागू हुआ: 1 जनवरी 2016

अध्यक्ष: अशोक कुमार माथुर

प्रमुख सिफारिशें:

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 18,000 रुपए प्रति माह किया गया।

फिटमेंट फैक्टर 2.57 किया गया।

ग्रेड पे की प्रणाली खत्म कर पे मैट्रिक्स लागू की गई।

आठवां वेतन आयोग (2026)

स्थापना: 2024 (संभावित)

लागू होगा: 1 जनवरी 2026

प्रमुख सिफारिशें (संभावित):

न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 34,560 रुपए किया जा सकता है।

फिटमेंट फैक्टर 1.92 प्रस्तावित।

निष्कर्ष:

हर वेतन आयोग ने समय के साथ कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की जीवन-शैली को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये आयोग न केवल वेतन में सुधार करते हैं, बल्कि आर्थिक असमानता को भी कम करने का प्रयास करते हैं। 8वें वेतन आयोग से भी यही उम्मीद की जा रही है।

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