News Indiaa

IIT गोल्ड मेडलिस्ट स्कॉलरशिप मिली, विदेश पढ़ाई की। वापसी पर IAS बनने का सपना पूरा किया। कड़ी मेहनत, लगन और सफलता की प्रेरक कहानी ।

आईआईटी गोल्ड मेडलिस्ट को स्कॉलरशिप मिली, विदेश पढ़ाई की। वापसी पर IAS बनने का सपना पूरा किया। कड़ी मेहनत, लगन और सफलता की प्रेरक कहानी हर युवा को प्रेरित करती है। सफलता उनके समर्पण का प्रमाण है।

अगर आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं, तो कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जो आपकी सफलता को सुनिश्चित कर सकती हैं। आईएएस जुफिशान हक ने अपनी सफलता की कहानी साझा की है।

पटना की जुफिशान हक ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में 34वीं रैंक हासिल कर यह साबित किया कि मेहनत से कुछ भी संभव है।

परीक्षा देते समय वह भारतीय राजस्व सेवा (IRS) की प्रशिक्षु अधिकारी थीं। उच्च रैंक प्राप्त कर उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयन के लिए योग्यता हासिल की।

जुफिशान हक ने एक इंटरव्यू में अपनी प्रेरक यात्रा के बारे में बताया। वह सिक्किम के गंगटोक में पैदा हुईं और पली-बढ़ीं। उनके पिता महफूजुल हक एक सरकारी स्कूल के प्रधानाचार्य थे। जुफिशान ने 10वीं और 12वीं की पढ़ाई सीबीएसई बोर्ड से की और राज्य की टॉपर रहीं। इसके बाद उन्होंने बीटेक किया और आईआईटी पटना से एमटेक की डिग्री हासिल की, जहां उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।

IIT में रहीं गोल्ड मेडलिस्ट, स्कॉलरर्शिप मिली तो विदेश गईं अब हैं IAS

जुफिशान हक ने जर्मनी में स्कॉलरशिप के माध्यम से शोध कार्य किया, जो उनकी शैक्षणिक उत्कृष्टता और कड़ी मेहनत का प्रमाण है।

जुफिशान हक ने बताया कि उन्हें जर्मनी में एक महीने के लिए शोध करने का अवसर मिला, जहां उन्होंने स्कॉलरशिप के बल पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। इसके बाद, उन्होंने सिविल सेवा की तैयारी शुरू की। चौथे प्रयास में, पिछली बार 193वीं रैंक हासिल कर IRS में चयनित हुईं। इस बार उन्होंने 34वीं रैंक प्राप्त कर IAS में जगह बनाई।

अपनी तैयारी के लिए ऐसी रणनीति बनाएं जो आपके लक्ष्य को सुनिश्चित करे।

समय प्रबंधन, सही अध्ययन सामग्री, नियमित रिवीजन और मॉक टेस्ट पर ध्यान दें। अपनी कमजोरियों पर काम करें और आत्मविश्वास बनाए रखें।

जुफिशान हक का मानना है कि ईमानदार मेहनत से सफलता निश्चित है।

यूपीएससी परीक्षा कठिन है, लेकिन यदि आप एक से दो साल तक निरंतर प्रयास करें, तो इसे पास किया जा सकता है। उनका सुझाव है कि छात्र कई किताबें पढ़ने के बजाय एक ही किताब को बार-बार पढ़ें। समय की कमी के चलते, ज्यादा स्रोतों पर ध्यान देने की बजाय नियमित पुनरावलोकन पर जोर देना चाहिए।

Exit mobile version