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‘संगत का असर’

एक अध्यापक अपने शिष्यों के साथ घूमने जा रहे थे । रास्ते में वे अपनेशिष्यों के अच्छी संगत की महिमा समझा रहे थे । लेकिन शिष्य इसे समझ नहीं पा रहे थे। तभी अध्यापक ने फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा देखा । उन्होंने एक शिष्य को उस पौधेके नीचे से तत्काल एक मिट्टी का ढेला उठाकर ले आने को कहा ।जब शिष्य ढेला उठा लाया तो अध्यापक बोले – “ इसे अब सूंघो ।”शिष्य ने ढेला सूंघा और बोला – “ गुरु जी इसमें से तो गुलाब की बड़ी अच्छीखुशबू आ रही है ।”तब अध्यापक बोले – “ बच्चो ! जानते हो इस मिट्टी में यह मनमोहक महक कैसेआई ? दरअसल इस मिट्टी पर गुलाब के फूल, टूट टूटकर गिरते रहते हैं, तो मिट्टी में भीगुलाब की महक आने लगी है जो की ये असर संगत का है और जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियोंकी संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसीसंगत में रहता है उसमें वैसे ही गुणदोष आ जाते हैं ।

संगति का असर कहानी से सीख:-

इस शिक्षाप्रद कहानी से सीख मिलती है कि हमें सदैवअपनी संगत अच्छी रखनी चाहिए ।किसी भीव्यक्ति के जीवन मे अगर शील यानी चरित्र ना हो तो उनके जीवन के अन्य सभी सद्गुण निरर्थकहै। हमारी संस्कृति में बल, बुद्धि, विद्या,धन और शील यह पांच सद्गुणों का बहुत बड़ामहत्व है। लेकिन इन पांचो सद्गुणों में शील यानी चरित्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। अगरअच्छा चरित्र नहीं है तो बल, बुद्धि और विद्या का कोई अर्थ नहीं रहता।

✍️~SARVAN BISHNOI

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