पृथ्वी हर रोज 1670km/hr की रफ्तार से घूमती है. लेकिन हैरानी वाली बात ये है कि धरती के इतने तेज घूमने के बावजूद भी हमको पृथ्वी घूमती हुई महसूस नहीं होती. अब ऐसे में सवाल है कि ऐसा क्यों होता है.

पृथ्वी के घूमने के बावजूद भी हम नहीं घूमते?
आपको जानकर हैरानी होगी की हम पृथ्वी के साथ-साथ रफ्तार से घूम रहे हैं. जैसे जब हम किसी ट्रेन या हवाई जहाज में सफर कर रहे होते हैं तो उस समय हमें कुछ पता नहीं चलता. क्योंकि हमारी रफ्तार उस समय हवाई जहाज और ट्रेन से मैच हो जाती है जिसकी वजह से आपको अंदर बैठकर महसूस नहीं होता कि आप कितनी तेज़ रफ्तार से जा रहे हैं. ठीक उसी तरह से हम भी पृथ्वी के साथ-साथ उसी रफ्तार से घूम रहे हैं. इसलिए हमें कोई ‘झटका’ या ‘गति’ महसूस नहीं होती.

गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर टिके रहते है लोग स्पीड के साथ-साथ धरती के गुरुत्वाकर्षण के चलते हम धरती पर टिके रहते हैं. गुरुत्वाकर्षण बल लोगों को पृथ्वी की सतह की ओर खींचता है, जिसके बाद पृथ्वी के घूमने के बावजूद भी लोग स्थिरता के साथ बने रहते हैं.

धरती की रफ्तार से हम भी घूम रहे हैं
पृथ्वी के साथ-साथ हम भी उसी स्पीड से उसके साथ घूम रहे हैं. इसी वजह से कोई रुकावट या बदलाव नहीं होता है, इसलिए हमें इसका कोई एहसास नहीं होता.

धरती अपनी धूरी पर घूमती है
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है इस सिद्धांत की खोज सबसे पहले प्राचीन भारतीय खगोलशास्त्री आर्यभट (5वीं शताब्दी) ने की थी. हालांकि इस बात को प्रमाणित होने में सालों लग गए.

सूरज के चक्कर लगाती है पृथ्वी
यूरोप में निकोलस कोपरनिकस ने 16वीं शताब्दी में हेलीओसेंट्रिक सिद्धांत दिया था. इस सिद्धांत के मुताबिक पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और सूर्य के चारों तरफ परिक्रमा करती है. हालांकि बाद गैलीलियो और न्यूटन ने न प्रमाणों से सिद्ध कर दिया.