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सामाजिक सरोकार-शोक सभा

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Barmer | शोक सभा पशु पक्षी भी करते हैं, शोक रहित लोगो द्वारा शोक सभा का आयोजन होता है, इस संसार में जो भी गरीब हैं वो शोक से परे हैं उनका जीना अपने एवम परिवार का पेट भरना है,MP/MLA के लिए शोक संसद/विधानसभा में अध्यक्ष करते हैं।
शोक सभाएं आजकल दुःख बांटने और मृतक के परिवार को सांत्वना देने के अपने मूल उद्देश्य से भटक गईं हैं । आजकल शोक सभाओं के आयोजन के लिए विशाल मंडप लगाए जा रहे हैं, सफेद पर्दे और कालीन बिछाई जाती है या किसी बड़े बैंक्वेट हाल में भव्य सभा का आयोजन किया जाता है जिससे यह लगता है कि कोई उत्सव हो रहा है । इसमें शोक की भावना कम, और प्रदर्शन की प्रवृत्ति ज्यादा दिखाई देती है । मृतक का बड़ा फोटो सजाकर भव्यता के माहौल में स्टेज पर रखा जाता है । यहां तक कि मृतक के परिवार के सदस्य भी अच्छी तरह सज-संवरकर आते हैं । उनका आचरण और पहनावा किसी दुःख का संकेत ही नहीं देता समाज में अपनी प्रतिष्ठा दिखाने की होड़ में अब शोक सभा भी शामिल हो गई है । सभा में कितने लोग आए, कितनी कारें आईं, कितने नेता पहुंचे, कितने अफ़सर आए – इसकी चर्चा भी खूब होती है । ये सब परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा के आधार बन गए हैं । उच्च वर्ग को तो छोड़िए, छोटे और मध्यमवर्गीय परिवार भी इस अवांछित दिखावे की चपेट में आ गए हैं । शोक सभा का आयोजन अब आर्थिक बोझ बनता जा रहा है । कई परिवार इस बोझ को उठाने में कठिनाई महसूस करते हैं पर देखा-देखी की होड़ में वे न चाहकर भी इसे करने के लिए मजबूर होते हैं । इस आयोजन में खाना, चाय, कॉफी, मिनरल वाटर, जैसी चीजों पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है । यह पूरी सभा अब शोक सभा की बजाय एक भव्य आयोजन का रूप ले रही है । शोक सभाओं को पूर्व में समाज द्वारा प्रचलित परंपराओं की भांति सहयोगार्थ होना चाहिए।

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