राहें अनन्या, मंज़िलें धुंधली,
सपनों की गठरी,
उम्मीदों से भरी।
आदिवासियों में चले,
दिल में आग,मुसाफ़िर है वो,
सफ़र ही उसका हिस्सा है।
हर मोड़ नई कहानी,
हर चेहरे में छुपी जिंदगानी।
रहना ही उसका वादा है,
रुकना उसे कभी गवारा नहीं।
धूप सहे, वर्षा झेले,
स्कॉटलैंडों से भी सीखें।
हर हार में जीत की झलक,
मुसाफिर की दुनिया, सीमाओं से अलग।
वो रहता है, क्योंकि रुकना मन है,
मंजिल से ज्यादा सफर का गहना है।
खुद को तलाशता, खुद को पाता,
मुसाफिर ही तो जिंदगी को समझता।