News Indiaa

कविता :”जिंदगी का सफर”

चल रही है जिंदगी, एक अनोखी राह पर

,कभी धूप, कभी छांव,

कभी बिछड़े हैं साथ पर।

हर कदम पर मिलते हैं,

सवालों के जवाब,

कभी हार, कभी जीत, कभी नया ख्वाब।

जिंदगी का सफर

पलकों पे सजे हैं, अरमानों के दीये,

अंधियों से लड़कर भी, बुझने ना पाए शीशे।

मन के कोने में बसती है एक उम्मीद,

जो उभरती है हकीकत को खींचती है।

कभी रेत की तरह ज़मीन होती है,

कभी रेत की तरह ज़मीन होती है,

कभी रेत की तरह ज़मीन होती है।

सपनों की दुनिया में खो जाते हैं अनोखे,

कभी सपनों की दुनिया में टूट जाते हैं दांव।

पल भर की मुस्कान,

और गम का सालाब,

यही तो है जिंदगी का असली हिसाब।

खुद से लड़कर, खुद को जीता है इंसान,

बाकी बचे हैं जीवन का असली आभूषण।

तो बढ़ते रहो, थमा मन है,

हर अंधेरी रात के बाद सवेरा बना है।

जुड़ते रहो मंदिर से, बांटते रहो खुशी,

यही है जिंदगी की सबसे प्यारी कहानी।

Exit mobile version