Site icon News Indiaa

सुप्रीम कोर्ट का अहम् फैसला ।असली पिता जानने का अधिकार ,लेकिन जबरदस्ती नही हो सकता डीएनए टेस्ट

IMG-20250129-WA0064

बच्चे को असली पिता के बारे में जानने का अधिकार, लेकिन जबरदस्ती नहीं हो सकता DNA टेस्ट: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी बच्चे को अपने जैविक पिता के बारे में जानने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए जबरन डीएनए टेस्ट कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने यह फैसला एक 20 साल पुराने पितृत्व विवाद के मामले में सुनाया, जिसमें एक व्यक्ति पर बच्चे के जैविक पिता होने का दावा किया गया था।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बच्चे की पहचान और उसके अधिकारों को महत्व दिया जाना चाहिए, लेकिन इसके लिए किसी व्यक्ति पर जबरन डीएनए टेस्ट थोपना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि हर मामले में डीएनए परीक्षण अनिवार्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे व्यक्तिगत गरिमा और निजता के अधिकार का हनन हो सकता है।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला एक महिला द्वारा दायर किया गया था, जिसमें उसने दावा किया था कि एक व्यक्ति उसके बच्चे का जैविक पिता है और कोर्ट को डीएनए टेस्ट का आदेश देना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीएनए परीक्षण एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साधन है, लेकिन इसे किसी पर थोपना उचित नहीं होगा, खासकर जब इससे किसी की सामाजिक प्रतिष्ठा और निजता प्रभावित होती हो।

कोर्ट का संतुलित रुख

कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में बच्चे के हित सर्वोपरि होते हैं, लेकिन वयस्कों के संवैधानिक अधिकारों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए। अदालत ने माना कि बच्चे के लिए अपने जैविक पिता को जानना आवश्यक हो सकता है, लेकिन न्यायपालिका को हर मामले में विवेकपूर्ण ढंग से निर्णय लेना चाहिए।

न्यायिक संतुलन की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन मामलों में मार्गदर्शक साबित हो सकता है जहां पितृत्व विवाद सामने आते हैं। यह न्यायिक संतुलन बनाए रखने और निजता, गरिमा और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

Exit mobile version