अजमेर में हर साल होने वाला ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन होता है। इस साल के उर्स में पाकिस्तान से 89 श्रद्धालु शामिल होने के लिए अजमेर आए। इन श्रद्धालुओं का मुख्य उद्देश्य अजमेर शरीफ दरगाह पर चादर चढ़ाकर दुआ करना था।
इस अवसर पर, इन श्रद्धालुओं ने अजमेर शहर के बाजारों में घूमकर स्थानीय सामान की खरीदारी भी की।अजमेर के बाजारों में पाकिस्तान से आए श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण सस्ते और विविध प्रकार के सामान थे। यहां के बाजारों में खासतौर पर कपड़े, जूते, घड़ी, चूड़ियां और अन्य सामान उपलब्ध थे, जो कि पाकिस्तान में अपेक्षाकृत महंगे होते हैं। अजमेर के बाजारों में इन सामानों की सस्ती कीमतों को देख कर पाकिस्तान से आए श्रद्धालुओं ने हजारों रुपये की खरीदारी की। स्थानीय दुकानदारों के अनुसार, इस साल उर्स के दौरान पाकिस्तान से आने वाले श्रद्धालुओं ने खरीदारी में अच्छा योगदान दिया और इससे बाजारों में रौनक भी बढ़ी।पाकिस्तानी श्रद्धालु विशेष रूप से सस्ती दरों पर विभिन्न धार्मिक वस्त्र, हड्डी और काष्ठ की कलाकृतियां खरीदते देखे गए। उनके लिए अजमेर के बाजार एक आकर्षक स्थान बन गए थे।
हालांकि, खरीदारी के अलावा उन्होंने दरगाह पर जाकर ख्वाजा साहब से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की दुआ भी की। इस यात्रा ने भारत और पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को और मजबूत किया, और दोनों देशों के लोग एक ही उद्देश्य के तहत एकत्र हुए – शांति और समृद्धि की प्रार्थना।इस प्रकार, उर्स के आयोजन ने न केवल धार्मिक महत्व को बढ़ाया, बल्कि व्यापारिक दृष्टिकोण से भी बाजारों में गतिविधि को प्रोत्साहित किया। साथ ही, यह सांस्कृतिक सद्भावना का प्रतीक बनकर दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग का संदेश भी भेजता है।