बाड़मेर जिले की धोरीमन्ना तहसील का पाबू बेरा गांव, जो कभी अपने छोटे आकार और सीमित संसाधनों के लिए जाना जाता था, अब अपनी शिक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उल्लेखनीय कार्य के लिए प्रसिद्ध हो रहा है।
यह बदलाव यहां के दो समर्पित और संघर्षशील शिक्षकों, श्री जगदीश प्रसाद विश्नोई और श्री मोहन लाल तरड़ के अथक प्रयासों का परिणाम है। इन शिक्षकों ने न केवल बच्चों को शिक्षा की सही दिशा दी, बल्कि उन्हें समाज के प्रति जिम्मेदारी और पर्यावरण की रक्षा के लिए भी प्रेरित किया।श्री जगदीश प्रसाद विश्नोई जी का विश्वास है कि शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह विद्यार्थियों में समाज और पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने का एक प्रभावशाली माध्यम होना चाहिए। उन्होंने अपने विद्यालय के बच्चों को स्वच्छता और पर्यावरण के महत्व के बारे में समझाया और उन्हें प्लास्टिक मुक्त समाज बनाने के लिए प्रेरित किया। उनकी कोशिशों से पाबू बेरा गांव में प्लास्टिक का उपयोग कम हुआ और स्वच्छता की दिशा में बड़े बदलाव हुए।
उन्होंने स्वच्छता अभियान के तहत कई जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए और बच्चों को छोटे-छोटे कदमों से गांव को साफ रखने की शिक्षा दी।वहीं, श्री मोहन लाल तरड़ जी भी एक ऊर्जावान और प्रेरणास्त्रोत शिक्षक हैं, जो बच्चों को शैक्षिक और सामाजिक दृष्टिकोण से समृद्ध बनाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने स्वच्छता के महत्व को विद्यालय और गांव के हर व्यक्ति तक पहुंचाया। उनका मानना है कि जब बच्चे स्वच्छता के महत्व को समझेंगे, तो वे इसे अपने घर और समाज में भी लागू करेंगे। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को मानसिक रूप से भी मजबूत करने का कार्य किया, ताकि वे अपने समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकें।इन दोनों शिक्षकों की समर्पित मेहनत ने पाबू बेरा गांव को एक नई दिशा दी है। आज, इस गांव में न केवल शिक्षा का स्तर ऊंचा हुआ है, बल्कि लोग पर्यावरण के प्रति जागरूक हो चुके हैं और स्वच्छता के प्रति भी जिम्मेदार बने हैं।
उनके इस योगदान ने यह सिद्ध कर दिया है कि अगर कोई शिक्षक समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझकर काम करे, तो वह किसी भी गांव या शहर को आदर्श बना सकता है।शिक्षक जगदीश प्रसाद और मोहन लाल तरड़ की यह यात्रा हर शिक्षक और समाज सुधारक के लिए प्रेरणा का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उनके द्वारा किए गए प्रयासों ने यह साबित किया है कि शिक्षा के साथ-साथ समाज में बदलाव लाने के लिए अगर शिक्षक अपने कार्य के प्रति समर्पित हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता।
पाबू बेरा गांव अब एक उदाहरण बन चुका है, जहां शिक्षा, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संगम है। यह बदलाव अन्य स्थानों के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।