धोरीमना की पुण्य भूमि पर शिक्षा और संस्कार का एक नया केंद्र स्थापित हुआ है – रघुकुल विद्या मंदिर।
इस नव निर्मित विद्यालय की स्थापना श्रीमान स्वरूप जैन द्वारा की गई है, जो शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल है। इस विद्यालय का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें संस्कार, नैतिकता और आधुनिक युग की चुनौतियों के लिए भी तैयार करना है।
संस्था की विशेषताएँ रघुकुल विद्या मंदिर केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं, बल्कि एक संस्कार केंद्र भी है। यहाँ विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीकों और पारंपरिक मूल्यों का समावेश कर शिक्षा दी जाएगी। विद्यालय में सुविधाजनक कक्षाएँ, डिजिटल लर्निंग सुविधाएँ, विशाल पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएँ, खेल मैदान, सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए मंच और नैतिक शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
संस्थापक का समर्पण इस विद्यालय की स्थापना के पीछे श्रीमान स्वरूप जैन का अथक प्रयास और समर्पण है। उन्होंने धोरीमना क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अभाव को देखते हुए यह निर्णय लिया कि बच्चों को एक ऐसा संस्थान मिले, जहाँ वे आधुनिक शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति और संस्कारों का भी ज्ञान प्राप्त कर सकें। उनका मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह व्यक्ति के संपूर्ण विकास का माध्यम होनी चाहिए।सम्माननीय भामाशाहों और शिक्षकों का योगदान इस विद्यालय की सफलता में सम्माननीय भामाशाहों, शिक्षकगणों, संस्था के पदाधिकारियों और अभिभावकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
सभी ने अपने-अपने स्तर पर सहयोग दिया, जिससे यह विद्यालय एक आदर्श शिक्षण संस्थान बन सका। शिक्षक गण विद्यार्थियों के भविष्य निर्माण में मार्गदर्शक की भूमिका निभाएंगे, और यह विद्यालय अपने कुशल शिक्षकों के मार्गदर्शन में शिक्षा के नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।विद्यार्थियों के लिए सुनहरा अवसर रघुकुल विद्या मंदिर उन विद्यार्थियों के लिए स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है, जो अपने भविष्य को संवारने की इच्छा रखते हैं। यहाँ न केवल अकादमिक शिक्षा दी जाएगी, बल्कि नैतिक शिक्षा, नेतृत्व कौशल, संस्कार, खेलकूद और सांस्कृतिक विकास पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह विद्यालय विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और समाज के प्रति उत्तरदायी नागरिक बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
निष्कर्ष रघुकुल विद्या मंदिर, धोरीमना शिक्षा के क्षेत्र में एक नई रोशनी बनकर उभरा है। यह विद्यालय विद्यार्थियों के उज्ज्वल भविष्य की नींव रखेगा और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक बनेगा। यह केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि ज्ञान, संस्कार और उज्ज्वल भविष्य का द्वार है।