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बाड़मेर: बलाऊ क्षेत्र के बेरड़ परिवार की अनूठी शादी—जहां नहीं हुई अफीम की मनवार, नशे से रही पूरी तरह मुक्त :

बाड़मेर जिले के बलाऊ गांव क्षेत्र में बेरड़ परिवार द्वारा आयोजित विवाह समारोह समाज के लिए एक नई मिसाल बन गया। जहां आमतौर पर शादियों में अफीम की मनवार और अन्य नशे का प्रचलन देखने को मिलता है, वहीं इस विवाह में पूरी तरह से नशामुक्त वातावरण रखा गया। परिवार ने यह ठोस निर्णय लेकर दिखा दिया कि खुशियों को मनाने के लिए नशे की कोई आवश्यकता नहीं होती।

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बेटा बचाओ अभियान का असर

राजस्थान के कई इलाकों में विशेष रूप से शादियों और अन्य मांगलिक अवसरों पर अफीम की मनवार करना एक परंपरा बन चुकी है। मेहमानों का स्वागत अफीम के सेवन के साथ किया जाता है, जिसे सामाजिक शिष्टाचार का हिस्सा माना जाता है। लेकिन बेरड़ परिवार ने इस प्रथा को तोड़ते हुए शादी को पूरी तरह नशामुक्त रखा। इस शादी में न तो अफीम की मनवार हुई, न ही शराब या किसी अन्य प्रकार का नशा परोसा गया।

सादगी और संस्कारों से सजा विवाह समारोह

बेरड़ परिवार ने विवाह को सादगी और भारतीय संस्कृति के अनुरूप संपन्न किया। विवाह स्थल को पारंपरिक राजस्थानी सजावट से सजाया गया, जहां सिर्फ खुशियों, आत्मीयता और अपनापन का माहौल था। मेहमानों के स्वागत में शुद्ध शरबत, देसी ठंडाई और अन्य स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थ परोसे गए। हर किसी ने इस बदलाव को सकारात्मक रूप में लिया और इस नई परंपरा की सराहना की।

बुजुर्गों और समाज के गणमान्य लोगों ने की सराहना

इस विवाह में शामिल हुए बुजुर्गों और समाज के गणमान्य लोगों ने बेरड़ परिवार की इस पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा की। कई लोगों ने इसे समाज में बदलाव लाने वाला कदम बताया और कहा कि आने वाली पीढ़ी को इससे प्रेरणा मिलेगी। विवाह समारोह में उपस्थित लोगों ने माना कि नशामुक्त शादी एक स्वस्थ और सुदृढ़ समाज के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

नशामुक्त विवाह से समाज को मिला सकारात्मक संदेश

बेरड़ परिवार के इस साहसिक निर्णय से समाज को एक सकारात्मक संदेश मिला है। यह विवाह समारोह न केवल दो परिवारों के मिलन का साक्षी बना, बल्कि इसने पूरे क्षेत्र में नशामुक्ति की एक नई लहर भी पैदा कर दी। विवाह के बाद चर्चा शुरू हो गई कि अन्य परिवार भी इसी तरह नशे से मुक्त विवाह संपन्न करें और समाज में एक नई परंपरा की शुरुआत करें।

यह विवाह केवल एक साधारण शादी नहीं रही, बल्कि यह समाज सुधार और नई सोच को अपनाने का प्रतीक बन गई। बेरड़ परिवार की यह पहल आने वाले समय में अन्य परिवारों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगी और राजस्थान में नशे से मुक्त शादियों की परंपरा को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

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