
बाड़मेर जिले के सेड़वा उपखंड क्षेत्र के सारला गांव में ओरण और गोचर भूमि पर हुए अतिक्रमण को लेकर अब एक बड़ी कानूनी कार्यवाही शुरू हो गई है। उच्च न्यायालय ने इस मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए सरकारी भूमि से कब्जा हटाने के आदेश दिए गए हैं। यह आदेश तब आया जब RTI कार्यकर्ता जगदीश बिश्नोई ने इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
अतिक्रमण की गंभीर स्थिति सारला गांव में ओरण और गोचर भूमि पर कई वर्षों से अतिक्रमण की स्थिति बनी हुई थी। इन भूमि पर न केवल स्थानीय निवासियों, बल्कि बाहरी लोगों ने भी अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। यह भूमि, जो आमतौर पर पशुपालन और गांव के अन्य सामूहिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती है, अब अवैध कब्जों के कारण अपनी मूल स्थिति खो चुकी थी। यह समस्या केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर चिंता का विषय बन चुकी थी, क्योंकि इन भूमि का अतिक्रमण सरकारी नीति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए गंभीर खतरा था।तहसीलदार सेड़वा की कार्रवाई कुछ समय पहले तहसीलदार सेड़वा ने इस अतिक्रमण को लेकर कड़ी कार्रवाई शुरू की थी। उन्होंने जिले भर में विभिन्न स्थानों पर सरकारी भूमि पर कब्जे की पहचान की और इसके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया। तहसीलदार ने यह स्पष्ट किया था कि जिन लोगों ने सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा किया है, उन्हें तत्काल हटाया जाएगा और संबंधित अधिकारियों को इस कार्यवाही के लिए दिशा-निर्देश दिए गए थे। हालांकि, यह आदेश कागजों तक ही सीमित रहा और इसकी कोई वास्तविक कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और निराशा फैल गई।
RTI कार्यकर्ता का संघर्ष इस बीच, RTI कार्यकर्ता जगदीश बिश्नोई ने इस मामले को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने अदालत से अपील की कि सरकारी आदेशों को वास्तविक रूप में लागू किया जाए और अतिक्रमणकर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनके प्रयासों का परिणाम अब सामने आया है, जब हाई कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया और अतिक्रमण हटाने के लिए सख्त निर्देश दिए। बिश्नोई की याचिका में यह स्पष्ट किया गया था कि अगर यह स्थिति वैसे की वैसे बनी रही तो यह भविष्य में और भी गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकती है, विशेष रूप से पर्यावरणीय और सामाजिक दृष्टिकोण से।
हाई कोर्ट का निर्णय
हाई कोर्ट की डबल बैंच ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार और संबंधित अधिकारियों को तत्काल इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए और अतिक्रमण करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर कोई व्यक्ति या समूह सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा करता है, तो उसे तुरंत हटाया जाए और उसे कानूनी दंड का सामना करना पड़े।अब क्या होगा?
अब इस आदेश के बाद जिला प्रशासन और स्थानीय अधिकारी अतिक्रमण हटाने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। तहसीलदार सेड़वा और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करना होगा। इसके साथ ही, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हों, और सरकारी भूमि का संरक्षण किया जाए।यह मामला सिर्फ सारला गांव तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण की समस्या को उजागर करता है। अब यह देखने योग्य होगा कि इस आदेश के बाद बाकी जिलों में भी अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को गति मिलती है या नहीं।