
किसान केसरी बलदेवराम मिर्धा: 137वीं जयंती पर विशेष श्रद्धांजलि
आज हम सब किसान केसरी के नाम से मशहूर बलदेवराम मिर्धा की 137वीं जयंती मना रहे हैं। यह दिन हमें उनके संघर्षपूर्ण जीवन और देश के किसानों के लिए किए गए अमूल्य योगदान को याद करने का अवसर देता है। मिर्धा साहब का जीवन किसानों के अधिकारों और सामाजिक सुधारों के प्रति समर्पित था।
जीवन परिचय
बलदेवराम मिर्धा का जन्म 17 जनवरी 1888 को राजस्थान के नागौर जिले के कुचेरा गांव में हुआ था। उनका जीवन सादगी, परिश्रम और दृढ़ संकल्प की मिसाल था। उन्होंने शिक्षा को समाज में बदलाव का मुख्य साधन माना और इस दिशा में कई पहल की।
किसानों के मसीहा
बलदेवराम मिर्धा ने अपने जीवन का अधिकांश समय किसानों के उत्थान में लगाया। उस समय जमींदारी प्रथा किसानों के लिए शोषण का कारण बनी हुई थी। मिर्धा साहब ने इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया और किसानों को उनके अधिकार दिलाने में अहम भूमिका निभाई। उनके प्रयासों से किसानों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण सुधार हुए।
सामाजिक सुधारक
मिर्धा जी केवल किसानों के नेता नहीं थे, बल्कि समाज सुधारक भी थे। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों जैसे जातिवाद, अशिक्षा और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। वे शिक्षा के महत्व को समझते थे और इसे सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए कार्यरत रहे।
उनकी विरासत
बलदेवराम मिर्धा की विरासत आज भी उनके कार्यों और आदर्शों के माध्यम से जीवित है। उनके नाम पर कई शैक्षणिक और सामाजिक संस्थान स्थापित किए गए हैं, जो उनके विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं।
जयंती समारोह
देशभर में आज उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। किसान संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और उनके अनुयायियों द्वारा उनकी स्मृति को नमन किया जा रहा है। इस अवसर पर उनके योगदान और विचारों पर चर्चा की जा रही है, ताकि नई पीढ़ी उनके आदर्शों से प्रेरणा ले सके।
श्रद्धांजलि
बलदेवराम मिर्धा के जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि एक व्यक्ति के प्रयास समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं। उनकी 137वीं जयंती पर, हम सब उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
“किसानों का मसीहा और समाज सुधारक बलदेवराम मिर्धा को शत-शत नमन।”