
पेड़ों की सरसराहट,
नदियों की कलकल,
और पंछियों की मीठी तान
—प्रकृति हर पल एक नया गीत गाती है।
हर ऋतु का अपना संगीत है
—वसंत में फूलों की महक,
गर्मियों में आम की मिठास,
बारिश में धरती की सौंधी खुशबू
और सर्दियों में कोहरे की चादर।
पहाड़ों की ऊँचाइयाँ हमें ऊँचे
सपने देखने की प्रेरणा देती हैं,
तो बहती नदियाँ हमें आगे बढ़ते
रहने का सबक सिखाती हैं।
प्रकृति हमारी माँ है,
जो हमें निःस्वार्थ प्रेम और असीम सुख देती है।
लेकिन, क्या हम उसकी रक्षा करते हैं?
पेड़ कट रहे हैं, नदियाँ सूख रही हैं,
और पर्यावरण संकट में है।
अगर हमें प्रकृति के इस अनमोल गीत को बनाए रखना है,
तो हमें उसकी रक्षा करनी होगी।