
गुड़ामालानी | भारतीय किसान संघ द्वारा किसानों की समस्याओं को लेकर गुड़ामालानी तहसील कार्यालय के सामने एकदिवसीय सांकेतिक धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में सैकड़ों किसान, संघ के प्रदेश व जिला स्तरीय अधिकारी, और जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
किसानों की प्रमुख मांगें:
धरने में किसानों ने अपनी मुख्य मांगों को रखते हुए सरकार से तुरंत कार्रवाई की अपील की।
ये मांगे थीं:1. खरीफ आदान अनुदान और रबी आदान अनुदान का तुरंत भुगतान।
2. रबी बीमा क्लेम राशि का शीघ्र निस्तारण। घरेलू विद्युत बिलों में अधिकता का समाधान।
3. विभागीय कर्मचारियों द्वारा पुराने डैमेज पोलों का सर्वे कर फसल कटाई के बाद उन्हें बदलने की मांग।
4. नहरों का पानी टेल क्षेत्र के किसानों को सिंचाई हेतु उचित रूप से उपलब्ध कराने का आश्वासन।
5. नर्मदा नहर के ओवरफ्लो पानी को सुकड़ी और लूनी नदी में छोड़ने का प्रस्ताव।
धरने में उठाए गए विशेष मुद्दे:
धरने के दौरान किसानों ने नर्मदा नहर के पानी के सही प्रबंधन की मांग की। उन्होंने बताया कि गांधव पुल के नीचे छोड़ा जा रहा ओवरफ्लो पानी कच्छ के ऋण में जमा हो रहा है, जिससे भूमि सैमीकृत हो रही है। इससे पशु-पक्षियों और स्थानीय निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
किसानों ने मांग की कि यह पानी स्टील पाइप के जरिए रामपुरा बरूड़ी, अरटवाव सुकड़ी नदी, और सिणधरी के गादेसरा पुल के पास लूनी नदी में छोड़ा जाए। इससे इन नदियों का जलस्तर बढ़ेगा और आसपास के किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
माही बजाज परियोजना का मुद्दा:
धरने में पश्चिम राजस्थान नहर परियोजना के लिए बजट प्रावधान की मांग की गई। किसानों ने कहा कि इस परियोजना को शुरू करने से जलोर, बाड़मेर, और सिरोही जिलों में सिंचाई और पेयजल की सुविधा उपलब्ध होगी। इन क्षेत्रों में भूजल स्तर काफी नीचे जा चुका है और पानी खारा हो गया है।
अधिकारियों की उपस्थिति:
भारतीय किसान संघ के प्रदेश व जिला स्तरीय अधिकारियों ने इस धरने में भाग लिया और किसानों की मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

कार्यक्रम का निष्कर्ष:
धरना प्रदर्शन के अंत में किसानों ने अपनी मांगों का ज्ञापन तहसील कार्यालय में सौंपा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इन मांगों पर शीघ्र कार्रवाई नहीं होती, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
सरकार से उम्मीद:
इस धरने के माध्यम से किसानों ने सरकार को उनकी समस्याओं पर ध्यान देने और उन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल करने का संदेश दिया है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या कदम उठाती है।