Opinion: जिन्हें अभी तैयारी करनी चाहिए वो सड़कों पर हैं, आखिर इन छात्रों की सुनेगा कौन?

नई दिल्ली: उनके पढ़ने का टाइम फिक्स है, चाय भी एक बार ही बनाकर थर्मस में रख लेते हैं कि दोबारा बनाने वाला समय भी बच जाए। खाना भी एक टाइम में ही काम हो जाता है। आखिर हो भी क्यों न, जब बात देश और राज्य की सबसे कठिन परीक्षा की तैयारी की हो तो इसमें कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता है। तो फिर इतनी कठिन तपस्या करने वाले प्रयागराज की सड़कों पर क्या कर रहे हैं? रात-दिन वो प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन न तो यूपीपीएससी और न ही सरकार के कान में जू रेंग रही है। हे नीति नियंता, हे सरकार जी आखिर इनकी गलती क्या है? एक मांग कर रहे हैं, कोई उसे सुन तो लेता। लेकिन सुनने की बात कौन कहे, उन्हें तो सिविल ड्रेस में पुलिसवाले वहां से हटाने में लगे हैं। जिस छात्र आंदोलन से इस देश की सरकार तक हिली है, आज उन छात्रों की मांग को कोई सुनने वाला तक नहीं है। ऐसे कैसे चलेगा सरकार?

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