

डोनाल्ड ट्रंप, जो अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रहे हैं, का भारत के साथ संबंधों और उनकी विदेश नीति के दृष्टिकोण का व्यापक असर भारत-अमेरिका संबंधों पर पड़ा। ट्रंप का रुख उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति और आर्थिक व सामरिक मामलों पर सख्त रुख के लिए जाना जाता है। हालांकि, उनके कार्यकाल में भारत और अमेरिका के संबंध कई मोर्चों पर मजबूत हुए, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी रहीं।
भारत के लिए फायदे
रक्षा और सामरिक साझेदारी:
ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग बढ़ा। 2018 में अमेरिका ने भारत को मेजर डिफेंस पार्टनर का दर्जा दिया, जिससे भारत को उन्नत रक्षा तकनीकों तक पहुंच मिली। इसके अलावा, भारत और अमेरिका ने 2+2 वार्ता और COMCASA (Communications Compatibility and Security Agreement) जैसे समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जो रक्षा और खुफिया साझेदारी को मजबूत करता है।
चीन पर दबाव:
ट्रंप प्रशासन ने चीन के प्रति कड़ा रुख अपनाया, जो भारत के लिए रणनीतिक रूप से फायदेमंद रहा। भारत-चीन सीमा विवाद के दौरान अमेरिका ने खुले तौर पर भारत का समर्थन किया। यह ट्रंप के चीन विरोधी व्यापार नीति और इंडो-पैसिफिक रणनीति का हिस्सा था, जिसमें भारत एक अहम साझेदार बना।
आर्थिक सहयोग:
ट्रंप ने व्यापार को लेकर भारत पर दबाव बनाया, लेकिन उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि भारत और अमेरिका के आर्थिक संबंध मजबूत बने रहें। भारतीय कंपनियों ने अमेरिका में निवेश बढ़ाया और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई।
आतंकवाद पर सहयोग:
ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान पर सख्ती दिखाई और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख का समर्थन किया। पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कटौती और आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव डालने जैसे कदम भारत के हित में रहे।
भारत के लिए चुनौतियाँ
H1B वीज़ा नियमों में सख्ती:
ट्रंप प्रशासन ने H1B वीज़ा कार्यक्रम में बदलाव किए, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों पर असर पड़ा। अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों के लिए यह एक बड़ी चिंता थी।
व्यापार में तनाव:
ट्रंप ने भारत को “टैरिफ किंग” कहा और भारतीय उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ की आलोचना की। इसके जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ा दिया, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव पैदा हुआ।
जलवायु परिवर्तन समझौता:
ट्रंप ने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को अलग कर दिया। यह कदम पर्यावरणीय मुद्दों पर भारत और अमेरिका के बीच सहयोग को प्रभावित कर सकता था।
डोनाल्ड ट्रंप का भारत के प्रति रुख
डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अच्छे रिश्तों की बात कही। उनके कार्यकाल के दौरान “हाउडी मोदी” और “नमस्ते ट्रंप” जैसे भव्य आयोजनों ने दोनों नेताओं की दोस्ती और द्विपक्षीय संबंधों को प्रदर्शित किया। ट्रंप ने भारत को एक मजबूत और विश्वसनीय साझेदार के रूप में देखा, विशेषकर चीन के बढ़ते प्रभाव के खिलाफ।
क्या भारत को फायदा या नुकसान हुआ?
ट्रंप के कार्यकाल में भारत को सामरिक और कूटनीतिक मोर्चे पर फायदा हुआ, खासकर रक्षा सहयोग और चीन पर दबाव के मामले में। हालांकि, व्यापारिक मोर्चे पर कुछ चुनौतियां जरूर रहीं। उनकी “अमेरिका फर्स्ट” नीति के कारण कुछ नीतिगत मतभेद उभरे, लेकिन कुल मिलाकर भारत-अमेरिका संबंध मजबूत बने।
आने वाले वर्षों में यह देखना अहम होगा कि ट्रंप की नीतियों का लंबी अवधि में भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या प्रभाव पड़ा। लेकिन यह स्पष्ट है कि उनके कार्यकाल ने दोनों देशों को सामरिक रूप से करीब लाने में अहम भूमिका निभाई।