सासद उम्मेदाराम बैनिवाल की प्रवासी बंधुओ से शिक्षा के मंदिर मे दान की अपील।भगवान के,मंदिर के साथ साथ शिक्षा के,मंदिर मे दान करके डिजिटल शिक्षा को बढावा दे

कर्नाटक के सांसद उमेद राम बेनीवाल ने प्रवासी बंधुओं से अपील की है कि वे अपने गाँव के स्कूलों में सुधार की दिशा में कदम उठाएं। उनका कहना है कि मंदिरों में दान देने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण कार्य अपने गाँव के स्कूलों को सुधारना है। सांसद का यह संदेश शिक्षण क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए बहुत अहम है, क्योंकि उन्होंने शिक्षा को ही सबसे बड़ा मंदिर बताया है।

सांसद उमेद राम बेनीवाल ने अपनी अपील में कहा, “मैं नहीं कहता कि मंदिरों में दान न करें, लेकिन वही भावना और समर्पण शिक्षा के क्षेत्र में लगाएँ। यदि आप अपने गाँव के स्कूलों में सुधार करेंगे, तो आपके गाँव में बदलाव खुद-ब-खुद आएगा। विद्यालय सुधारने से न केवल शिक्षा का स्तर बेहतर होगा, बल्कि एक सशक्त और समृद्ध समाज की नींव भी रखी जाएगी।”

उन्होंने प्रवासी बंधुओं से यह भी कहा कि वे अपने गाँवों की तरक्की में योगदान देने के लिए अपने गाँव के स्कूलों में सुधार के लिए कदम उठाएं, ताकि वहाँ के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके। “अपना स्कूल – डिजिटल स्कूल” यह उनका नारा है, जिसमें उन्होंने डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने की बात की है। उनका मानना है कि आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।

उमेद राम बेनीवाल का मानना है कि जब गाँवों के स्कूलों में समुचित सुविधाएं और डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था होगी, तो इससे न सिर्फ शिक्षा का स्तर ऊँचा होगा, बल्कि समग्र विकास भी होगा।

इसलिए, सांसद ने प्रवासी भारतीयों से अपील की है कि वे अपने गाँव के स्कूलों में सुधार करने के लिए योगदान दें, ताकि एक समृद्ध और सशक्त समाज का निर्माण हो सके।

“शिक्षा ही संकल्प है” इस मंत्र के साथ वे गाँवों के स्कूलों में बदलाव लाने का आह्वान कर रहे हैं, ताकि हर बच्चे को एक उज्जवल भविष्य मिल सके।

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