
बाड़मेर सांसद उम्मेदाराम बायतू ने हाल ही में आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ता प्रतिनिधि मंडल से मुलाकात की, जिसमें पश्चिमी राजस्थान में व्यवसायिक कौशल, स्वदेशी हैंडीक्राफ्ट्स और महिलाओं की आत्मनिर्भरता पर गहन चर्चा की गई। इस प्रतिनिधि मंडल का मुख्य उद्देश्य थार क्षेत्र की सांस्कृतिक स्थिरता और सामाजिक-आर्थिक गतिशीलता पर शोध करना है।
आईआईटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने बाड़मेर और आसपास के क्षेत्रों के हस्तशिल्प, स्थानीय कारीगरों के हुनर, और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में चल रही पहलों पर ध्यान केंद्रित किया। उनका मानना है कि इस शोध से क्षेत्र के स्थानीय व्यवसायों और हस्तशिल्पों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे न केवल इन कला रूपों का संरक्षण होगा, बल्कि इनसे जुड़ी स्थानीय समुदायों को भी लाभ होगा।
सांसद उम्मेदाराम बायतू ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि पश्चिमी राजस्थान की समृद्ध हस्तशिल्प परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन क्षेत्र के सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के साथ-साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि कई हस्तशिल्प कार्यों में महिलाओं की प्रमुख भूमिका होती है।
इस शोध परियोजना के जरिए, पश्चिमी राजस्थान के इन पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को नया दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मिल सकता है, जो उन्हें आधुनिक बाज़ारों में प्रतिस्पर्धी बनाएगा। इसके साथ ही, स्थानीय कारीगरों और महिलाओं को अपने उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए नए रास्ते मिलेंगे।
यह पहल न केवल राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का एक प्रयास है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक उन्नति का एक महत्वपूर्ण कदम भी साबित हो सकती है।