जैसलमेर: अडाणी कम्पनी ने बईया गांव में 812 बीघा जमीन छोड़ी, ग्रामीणों के विरोध के बाद प्रशासन ने 116 खसरो पर दी निर्माण कार्य की स्वीकृति

जैसलमेर, 6 जनवरी 2025: अडाणी कम्पनी ने बईया गांव में स्थित अपनी 812 बीघा जमीन को छोड़ दिया है। राज्य सरकार ने 128 खसरो पर निर्माण कार्य की स्वीकृति दी थी, जबकि जिला प्रशासन ने केवल 116 खसरो पर निर्माण कार्य की स्वीकृति दी है। यह फैसला तब लिया गया जब स्थानीय ग्रामीणों ने ओरण क्षेत्र में निर्माण कार्य को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू किया।

ग्रामीणों का आरोप है कि कम्पनी का निर्माण कार्य ओरण के क्षेत्र को नुकसान पहुँचा सकता है, जिससे स्थानीय पर्यावरण और पशुधन के लिए संकट उत्पन्न हो सकता है। ओरण एक प्रमुख प्राकृतिक संसाधन है, जहां पशुओं को घास और पानी मिलता है। ग्रामीणों ने इस क्षेत्र को बचाने के लिए व्यापक आंदोलन शुरू कर दिया है।

विरोध और धरना: बईया गांव के ग्रामीण शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी के नेतृत्व में लगातार धरना दे रहे हैं। उनका मुख्य मांग है कि ओरण क्षेत्र की सुरक्षा की जाए और कम्पनी के निर्माण कार्य को रोका जाए। ग्रामीणों का कहना है कि कम्पनी के काम से उनकी पारंपरिक जीवनशैली पर गंभीर असर पड़ेगा, और यह उनके अस्तित्व के लिए खतरा बन सकता है।

जिला प्रशासन का हस्तक्षेप: ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जिला प्रशासन ने स्थिति का पुनः मूल्यांकन किया और 116 खसरो पर ही निर्माण कार्य की स्वीकृति दी। अतिरिक्त जिला कलेक्टर पवन कुमार ने इस मामले में लिखित आश्वासन दिया है कि भविष्य में इस तरह के संवेदनशील मुद्दों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

समझौता और समाधान की संभावना: अडाणी कम्पनी और जिला प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि निर्माण कार्य में पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाए जाएं। अडाणी कम्पनी ने बईया गांव में 812 बीघा जमीन छोड़ दी है, लेकिन स्थानीय लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाएंगे।

ग्रामीणों का संघर्ष जारी: विरोध प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने यह स्पष्ट किया है कि जब तक ओरण क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। ग्रामीणों की मुख्य चिंता यह है कि ओरण का अस्तित्व बचाना उनके लिए जीवन और आजीविका का सवाल है।

इस मामले में राज्य सरकार और जिला प्रशासन ने एक संतुलन बनाने की कोशिश की है, लेकिन स्थानीय समुदाय की उम्मीदें इस बात पर हैं कि उनके हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

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