हस्तशिल्प कला हमारी सांस्कृतिक विरासत: मनु सुथार

बाड़‌मेर | आज हम आपके साथ हूनर और नवाचार से जुड़ी मनु सुथार व उनके परिवार की पैतृक विरासत हस्तशिल्प के बारे में विशेष अंश साझा करते हैं। आज भी जिन्दगी का वास्तविक आनंद गाँवों में जीवंत है, जहां संयुक्त परिवार, आपसी मेल-मिलाप, अपनापन, भाईचारा व सुकून प्रत्यक्ष मौजूद है। पौष्टिक भोजन, शुद्ध हवा, खून-पसीने की शुद्ध कमाई व देशी पहनावा हमारी सामाजिक एकता व हस्तशिल्प कला सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अनाज के बदले और वस्तु बदले सोना हमारी वस्तु विनिमय की परम्पराओं को दर्शाता है, लोग एक-दूसरे की कला का समान करने के साथ-साथ परस्पर सहयोग भी किया करते थे। उन तमाम हस्तशिल्प कलाओं में लकड़ी पर नक्काशी कर तरह-तरह की महत्त्वपूर्ण वस्तुएं तैयार करने के लिए सुथार समाज की अहम भूमिका रही है। यह समाज जितना मेहनती है उतना ही प्रतिभाशाली भी है। गणित और भौतिक विज्ञान मानों इनकी रग-रग में समाहित है।

आज बात करते हैं बाड़मेर की सुदूर ढाणियों में अपनी कला की छटा बिखेर रहे ऐसे ही प्रतिभाशाली व हुनरमंद युवा साथी मनु सुथार व उसके परिवार की। जिनकी लकड़ी पर नक्काशी इतनी मनोहर है कि इन्होंने इस कला विशेष में पीएचडी कर रखी हो। नक्काशीदार वस्तुओं की सूची में चारपाई, सोफा सेट, बाजोटा, चकला-बेलन से लेकर घर में साज सजावट की हर वस्तु इतनी बारीकी और सावधानी से तैयार करते हैं कि हर कोई इनकी कला का कायल है।

निज रोहिड़े व सागवान की लकड़ी से बने इनके उत्पाद जितने सुन्दर है उतने ही मजबूत भी है। जिसके कारण आज हर जुबां इनकी प्रशंसा के पुल बांधती नजर आ रही है। आसपास में इनका नाम एक ब्रांड के रूप में गर्व से लिया जाता है। क्योंकि जैसा इनका काम-काज है वैसा ही सादगीपूर्ण व्यवहार है।

परिवार में सबसे लाड़ले मनु स्वभाविक रूप बहुत ही मिलनसार व्यक्तित्व के धनी है। अपनी हस्तशिल्प कला से बनी सुन्दर व मनोरम वस्तुओं के विक्रय के महारथी मानो तो किसी ब्रांड एम्बेसेडर से कम नहीं है। हालांकि ये अपने शोशल मिडिया के माध्यम से अपनी इस अद्भुत कला को दूर-दूर तक प्रदर्शित व प्रसारित कर चूके हैं।

आज के इस दौर में एक तरफ लोग बड़ी-बड़ी डिग्रियाँ लेकर नौकरी के लिए दूसरों के दरवाजे खटखटाते नजर आते हैं उनके लिए मनु सुथार प्रेरणा के स्रोत हो सकते हैं। और हां केवल लकड़ी ही नहीं चारपाई पर धागे से बुनकर किया जाने वाला डेकोरेशन इनकी कला में चार चांद लगाता नजर आ रहा है।

वर्तमान में इनकी मेहनत व पसीने की खुशबु दूर-दूर तक फैली तो बड़े-बड़े शहरों से लोग स्पेशल ऑर्डर बुक करवाने लग गए हैं। हालांकि यह काम थोड़ा कठिन जरुर है पर इनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है।योजनानुसार बहुत ही जल्द भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इनके द्वारा तैयार उत्पादों की मांग बढने वाली है। जिससे आर्थिक सम्बल के साथ-साथ विश्व स्तर पर इनकी पहचान बन सकती है।

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