बाड़मेर में टीना डाबी के सामने छलक पड़े आंसू: दोनों हाथ गंवा चुकी लीला की दिल दहला देने वाली कहानी

बाड़मेर की कलेक्टर टीना डाबी इन दिनों अपने जिले में “मरु उड़ान” अभियान को लेकर चर्चा में हैं। इस पहल के तहत वे बालिकाओं से संवाद कर रही हैं, उनके सपनों को नई उड़ान देने की कोशिश कर रही हैं। इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। जब कलेक्टर मैडम के सामने एक लड़की फफक-फफककर रो पड़ी, तो पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। सभी की निगाहें उस लड़की पर टिक गईं, जिसका नाम था— लीला कंवर।

जब लीला की आंखों से बहा दर्द

लीला कंवर, एक ऐसा नाम जिसे सुनकर किसी का भी कलेजा कांप जाए। दोनों हाथों से लाचार, लेकिन हौसलों से बुलंद यह लड़की अपनी जिंदगी को नए सिरे से संवारने के लिए संघर्ष कर रही है। वह बाड़मेर की जिला कलेक्टर टीना डाबी के पास पहुंची, और जैसे ही अपनी कहानी सुनाने लगी, उसका गला भर आया। उसने कांपती आवाज में कहा—
“मैडम, मैंने सपने देखे थे, पढ़ाई करने के, कुछ बनने के, लेकिन मेरा सब कुछ छिन गया…”

कलेक्टर टीना डाबी ने उसे प्यार से सांत्वना दी और पूरा हाल चुपचाप उसकी कहानी सुनने लगा।

जब करंट ने छीन लिए हाथ, फिर भी नहीं हारी हिम्मत

लीला ने बताया कि एक भयानक हादसे ने उसकी जिंदगी को झकझोर दिया। एक दिन बिजली का करंट लगने से उसके दोनों हाथ बुरी तरह झुलस गए। डॉक्टरों ने कहा कि जान बचाने के लिए हाथ काटने पड़ेंगे। मजबूरी में परिवार को यह फैसला लेना पड़ा। वह महज एक बच्ची थी, जिसने अपने दोनों हाथ खो दिए, लेकिन अपने सपनों को नहीं खोने दिया।

लीला कहती है—
“लोग कहते थे कि अब मैं दूसरों पर निर्भर रहूंगी, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने पैरों से लिखना सीखा, अपनी पढ़ाई जारी रखी और जिंदगी को नए तरीके से जीना शुरू किया।”

जब बैंक घोटाले ने छीन लिए लीला के लाखों रुपये

इतनी कठिनाइयों के बाद भी लीला को आगे बढ़ने की उम्मीद थी, क्योंकि बिजली विभाग ने उसे 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी थी। उसके पिता ने सोचा कि इस पैसे को सुरक्षित रखना चाहिए, ताकि लीला की पढ़ाई और भविष्य के लिए खर्च किया जा सके। उन्होंने नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव बैंक में यह रकम जमा कर दी। लेकिन नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था।

बैंक के मालिक गिरधर सिंह जैसिंधर ने हजारों लोगों की तरह लीला को भी धोखा दिया। एक दिन बैंक अचानक भाग गया, और लीला का सारा पैसा डूब गया। लीला ने केस दर्ज करवाया, मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया, लेकिन अभी तक कोई राहत नहीं मिली।

“मैडम, मेरा सब कुछ चला गया… मेरी जिंदगी भर की कमाई, मेरी उम्मीदें… सब कुछ लूट लिया गया…” – यह कहते हुए लीला फूट-फूटकर रोने लगी।

देशभर में ठगी का जाल, लीला भी बनी शिकार

नवजीवन क्रेडिट को-ऑपरेटिव बैंक का घोटाला सिर्फ लीला तक सीमित नहीं था। राजस्थान, गुजरात, और मध्य प्रदेश में इस बैंक ने हजारों लोगों के करोड़ों रुपये लूट लिए। बैंक के खिलाफ 150 से ज्यादा केस दर्ज हैं, लेकिन अभी तक ज्यादातर पीड़ितों को कोई न्याय नहीं मिला है। लीला उन्हीं हजारों लोगों में से एक है, जिसने अपना सब कुछ गवां दिया।

कलेक्टर टीना डाबी ने दिया भरोसा

टीना डाबी ने लीला की पूरी बात ध्यान से सुनी। उसकी आंखों में चिंता झलक रही थी, लेकिन उनके शब्दों में एक सशक्त आश्वासन था। उन्होंने कहा—
“तुम चिंता मत करो, तुम्हारी हरसंभव मदद की जाएगी। तुम्हारे पैसे वापस दिलाने के लिए प्रशासन पूरी कोशिश करेगा, और तुम्हारी शिक्षा भी जारी रहेगी।”

एक ऑफिसर बनने का सपना

लीला केवल अपनी स्थिति पर रोने वाली लड़की नहीं है। वह एक सपने देखने वाली लड़की है। उसके भीतर एक अद्भुत जज्बा है। वह पढ़ना चाहती है, एक ऑफिसर बनना चाहती है।

लेकिन समस्या यह है कि वह एक किसान परिवार से आती है। खेती से इतनी आमदनी नहीं होती कि वह उच्च शिक्षा के लिए जा सके। उसके माता-पिता चाहते हैं कि वह पढ़े, लेकिन संसाधनों की कमी उनके कदम रोक देती है।

एक मिसाल: हौसले की उड़ान

लीला ने कहा—
“जब हादसा हुआ था, तब मैंने सोचा था कि मेरी जिंदगी खत्म हो गई, लेकिन फिर मैंने पैरों से लिखना सीखा। अब मैं पढ़ना चाहती हूं, कुछ बनना चाहती हूं, ताकि किसी और को मेरी तरह बेबस न होना पड़े।”

टीना डाबी ने उसे भरोसा दिलाया कि प्रशासन उसकी शिक्षा के लिए भी कदम उठाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि लीला की शिक्षा को लेकर हर संभव मदद दी जाए।

क्या मिलेगा लीला को न्याय?

अब सवाल यह है कि क्या लीला को न्याय मिलेगा? क्या उसका पैसा वापस आएगा? क्या वह सच में अपने सपनों को साकार कर पाएगी?

बाड़मेर में हुए इस भावुक क्षण ने यह दिखा दिया कि जिंदगी में कठिनाइयां कितनी भी बड़ी हों, अगर हौसला मजबूत हो, तो रास्ते खुद-ब-खुद बन जाते हैं। लीला का हौसला हजारों लोगों के लिए प्रेरणा बन सकता है, बशर्ते कि उसे सही दिशा में मदद मिले।

अब देखना होगा कि प्रशासन और सरकार इस बहादुर बेटी के लिए क्या कदम उठाते हैं।

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