जोधपुर | राजस्थान के सिरोही जिले के बरलूट थाने की पूर्व प्रभारी, सब-इंस्पेक्टर सीमा जाखड़, जो पहले ही तस्करों से मिलीभगत के आरोप में बर्खास्त हो चुकी हैं, अब एक बार फिर कानूनी पचड़े में फंसती नजर आ रही हैं। राज्य सरकार ने उनकी जमानत रद्द करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया है, जिस पर न्यायाधीश फरजंद अली की एकल पीठ ने सीमा जाखड़ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
मामले की पृष्ठभूमि:
14-15 नवंबर 2022 की रात, बरलूट थानाधिकारी के पद पर रहते हुए, सीमा जाखड़ ने एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए भारी मात्रा में डोडा पोस्त बरामद किया था। हालांकि, बाद में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने तस्करों से 10 लाख रुपये की रिश्वत लेकर उन्हें फरार होने में मदद की। इस मामले में एक होटल के सीसीटीवी फुटेज में पुलिसकर्मियों को तस्करों के साथ देखा गया, जिससे यह पुष्टि हुई कि तस्करों को भगाने के लिए डील हुई थी।
जांच और बर्खास्तगी:
जांच के दौरान, सिरोही के तत्कालीन एसपी धर्मेंद्र सिंह ने विशेष पड़ताल की, जिसमें यह सामने आया कि तस्करों को भगाने के लिए 10 लाख रुपये की डील हुई थी। इसके बाद, सब-इंस्पेक्टर सीमा जाखड़ सहित तीन कांस्टेबल को बर्खास्त कर दिया गया।
जमानत और वर्तमान स्थिति:
पूर्व में, एक अन्य पीठ ने सीमा जाखड़ को जमानत प्रदान की थी, जिसमें यह माना गया था कि मामला केवल आईपीसी की धारा 221 के तहत दर्ज है, जिसमें तीन साल से अधिक की सजा नहीं होती। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि मामला एनडीपीएस एक्ट की कई गंभीर धाराओं के साथ-साथ आईपीसी की धारा 483 और 221 से जुड़ा हुआ था।
राज्य सरकार की अपील:
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर सीमा जाखड़ की जमानत रद्द करने की मांग की है। न्यायाधीश फरजंद अली की एकल पीठ ने सीमा जाखड़ को नोटिस जारी कर पूछा है कि उनकी जमानत क्यों न रद्द कर दी जाए। citeturn0search4
सीमा जाखड़ का प्रोफाइल:
सीमा जाखड़ 2013 बैच की राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने पाली के सोजत और सांडेराव थानों में भी एसएचओ के रूप में सेवा दी है। सोशल मीडिया पर उनकी मजबूत उपस्थिति है, जहां इंस्टाग्राम पर उनके लगभग 50,000 फॉलोअर्स हैं।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया:
इस मामले ने राजस्थान पुलिस की छवि पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। जनता में पुलिस की विश्वसनीयता को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं, और यह मामला पुलिस विभाग में आंतरिक सुधारों की आवश्यकता को उजागर करता है।
न्यायिक प्रक्रिया का महत्व:
यह मामला न्यायिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता का प्रतीक है। उच्च न्यायालय का यह कदम यह सुनिश्चित करता है कि कानून के समक्ष सभी समान हैं, चाहे वे किसी भी पद पर हों।
आगे की राह:
सीमा जाखड़ को अब हाईकोर्ट के नोटिस का जवाब देना होगा, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनकी जमानत क्यों न रद्द की जाए। यदि उनकी जमानत रद्द होती है, तो उन्हें फिर से हिरासत में लिया जा सकता है, और मामले की सुनवाई आगे बढ़ेगी।
यह मामला न केवल कानून के पालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून के रक्षक भी कानून के दायरे में हैं। यह घटना पुलिस विभाग में ईमानदारी और पारदर्शिता की आवश्यकता को उजागर करती है, जिससे जनता का विश्वास बहाल हो सके।