पढ़ाई हो रही प्रभावित, 1.50 लाख से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य अधर में
प्रदेश सरकार ने पिछले चार वर्षों में शिक्षा के विस्तार के उद्देश्य से 6273 सरकारी स्कूलों को सीनियर सेकंडरी स्तर पर क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए आवश्यक व्याख्याताओं के पद अब तक स्वीकृत नहीं किए गए हैं। इन स्कूलों को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए 19,319 व्याख्याताओं की आवश्यकता है, लेकिन सरकार की ओर से महज 1,746 पद ही स्वीकृत किए गए हैं। शेष 17,573 पदों की स्वीकृति का इंतजार जारी है, जिससे न केवल विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है, बल्कि युवाओं को भी रोजगार के सीमित अवसर मिल रहे हैं।
शिक्षा की गुणवत्ता पर असर
सरकारी स्कूलों के क्रमोन्नत होने के बावजूद, व्याख्याताओं की नियुक्ति न होने से 11वीं और 12वीं कक्षा के विद्यार्थियों को वरिष्ठ अध्यापकों के भरोसे पढ़ाई करनी पड़ रही है। ऐसे में 1.50 लाख से अधिक विद्यार्थी बिना विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों के परीक्षा देने को मजबूर हैं। यह स्थिति विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसी है।
हालांकि, सीनियर सेकंडरी स्कूलों के परीक्षा परिणामों को लेकर दावा किया जाता है कि अच्छे अंक प्राप्त होते हैं, लेकिन यह केवल आंतरिक मूल्यांकन (सत्रांक) के भरोसे संभव हो रहा है। जब परीक्षा परिणाम केवल आंतरिक अंकों पर निर्भर होंगे, तो बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों का प्रदर्शन वास्तविक ज्ञान के बजाय औपचारिकता बनकर रह जाएगा।
चार वर्षों में 6273 स्कूलों का क्रमोन्नयन, लेकिन व्याख्याताओं के पदों पर अनदेखी
राज्य सरकार ने 4,441 स्कूलों को सेकंडरी से और 1,832 स्कूलों को उच्च प्राथमिक से सीधे सीनियर सेकंडरी स्तर पर क्रमोन्नत कर दिया, लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए आवश्यक व्याख्याताओं के पदों के सृजन पर ध्यान नहीं दिया गया।

यह मामला हाल ही में विधानसभा में भी उठाया गया था, जहां यह स्पष्ट हुआ कि सरकार ने पद सृजन की प्रक्रिया को वित्त विभाग में लंबित रखा हुआ है। यदि जल्द ही इस दिशा में कार्रवाई नहीं की गई, तो शिक्षा प्रणाली की गुणवत्ता में और अधिक गिरावट आ सकती है।
व्याख्याता भर्ती: जरूरत के मुकाबले बेहद कम पद स्वीकृत
राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) ने इस बार 2,202 व्याख्याताओं के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की है, जो पिछले 11 वर्षों में सबसे कम है। यदि क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याताओं के पद स्वीकृत किए जाते, तो भर्ती की संख्या कई गुना अधिक हो सकती थी, जिससे युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलते।
राजस्थान बेरोजगार यूनियन के अध्यक्ष हनुमान किसान का कहना है,
“सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याताओं के पद सृजित करे और व्याख्याता भर्ती के पदों की संख्या बढ़ाए, ताकि विद्यार्थियों की पढ़ाई सुचारू रूप से हो सके और बेरोजगार युवाओं को भी रोजगार के अधिक अवसर मिलें।”
इसी तरह, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेशाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है,
“सरकार को पहले क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याताओं के पद सृजित करने चाहिए और उसके बाद पिछले चार वर्षों से लंबित पदोन्नति प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए। पदोन्नति पाने वाले व्याख्याताओं को क्रमोन्नत स्कूलों में नियुक्त किया जाए, ताकि विद्यार्थियों को योग्य शिक्षक मिल सकें। हम इस संबंध में कई बार सरकार से मांग कर चुके हैं।”
सरकार का क्या कहना है?
इस विषय में शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का कहना है,
“क्रमोन्नत स्कूलों में व्याख्याताओं के पद सृजन का मामला वित्त विभाग में प्रक्रियाधीन है। वहां से स्वीकृति मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।“
समाधान के संभावित उपाय
व्याख्याताओं के पदों की तत्काल स्वीकृति: शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सरकार को जल्द से जल्द 17,573 शेष पदों को स्वीकृत करना चाहिए।
व्याख्याता भर्ती प्रक्रिया में विस्तार: वर्तमान भर्ती प्रक्रिया में अधिक संख्या में पद जोड़े जाएं, ताकि योग्य युवाओं को रोजगार मिल सके।
अस्थायी समाधान के बजाय स्थायी नियुक्ति: वरिष्ठ अध्यापकों के भरोसे 11वीं और 12वीं की कक्षाएं संचालित करने के बजाय विषय-विशेषज्ञ व्याख्याताओं की नियुक्ति की जाए।
बजटीय प्रावधानों में प्राथमिकता: शिक्षा बजट में क्रमोन्नत स्कूलों के लिए विशेष प्रावधान किए जाएं, ताकि वित्त विभाग से स्वीकृति में देरी न हो।