
RAS Pinki Meena: हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार में संलिप्त सरकारी कर्मचारियों को 50 वर्ष की आयु पर जांच कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने का नए नियम लागू किया है। राजस्थान सरकार भी इस तर्ज पर भ्रष्ट अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी में है। इससे कई आईएएस, आईपीएस, आरएएस और आरपीएस अधिकारी प्रभावित हो सकते हैं।
हाइलाइट्स
10 लाख रुपये की घूस मामले से चर्चा में आई थी RAS पिंकीराजस्थान सरकार भी भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सख्तभ्रष्ट अधिकारियों की लंबी फेहरिस्त, कई केस वर्षों से लंबितअनिवार्य सेवानिवृत्ति का फैसला मार्च अंत तक संभव
जयपुर: हरियाणा सरकार ने हाल में एक नया नियम लागू किया है। इस नियम के मुताबिक अगर कोई सरकारी कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया तो उसे 50 वर्ष की आयु पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच होगी। अगर आरोप सही पाए गए तो उसे अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाएगी। पहले 55 साल की आयु पूरी करने पर मामलों की जांच का नियम था। अब इसे घटाकर 50 साल कर दिया है। पिछले सप्ताह यह नियम लागू भी हो गया और कुछ अधिकारियों के एक्सटेंशन पर रोक भी लगा दी गई। अब राजस्थान सरकार भी हरियाणा की तर्ज पर भ्रष्ट अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने की तैयारी कर रही है। ऐसे में बहुचर्चित RAS पिंकी मीणा की भी मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है।https://af1f713c8e7209ec305e7f2a197898f8.safeframe.googlesyndication.com/safeframe/1-0-41/html/container.html?n=0
कई IAS, IPS, RAS और RPS के खिलाफ मामले लंबित
अब शुरू हुई एक्शन की सुगबुगाहट
पिछले दिनों हरियाणा में जब नया नियम बनाया गया तो राजस्थान में ही वैसी ही तैयारी की जाने लगी। सूत्रों के मुताबिक मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों को पत्र भेजा है। इस पत्र में लिखा है कि जिन अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के केस दर्ज हैं और अभियोजन स्वीकृति लंबित हैं। ऐसे अफसरों की सूची मांगी गई है। एक महीने में सूची भेजने के निर्देश दिए गए हैं। मालूम चला है भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रिव्यू मीटिंग की जाएगी। विभाग के अधिकारी लिस्ट तैयार करने में जुटे हैं। उम्मीद है कि मार्च के अंत तक सरकार बड़ा फैसला ले सकती है।
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भ्रष्ट अफसरों की फेहरिस्त बहुत लंबी
राजस्थान में भ्रष्ट अफसरों की फेहरिस्त काफी लंबी है। पिछले 10-15 वर्षों में कई आईएएस, आईपीएस, आरएएस और आरपीएस अधिकारी भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होकर जेल गए। आईएएस अफसरों की बात करें तो सीनियर अफसर नीरज के. पवन का नाम सबसे पहले आता है। नेशनल हेल्थ मिशन घोटाले में उनका नाम सामने आया था। वर्ष 2016 में एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया। जेल भेजा और तत्कालीन सरकार ने उन्हें निलंबित किया। कई महीनों तक वे जेल में रहे। जब जमानत पर बाहर आए तो सरकार ने उन्हें बहाल कर दिया। वर्तमान में वे खेल विभाग में सचिव हैं। आईएएस राजेंद्र विजय को एसीबी ने पिछले साल आय से अधिक संपत्ति के मामले में गिरफ्तार किया था। उन दिनों कोटा संभाग के संभागीय आयुक्त थे। आईएएस प्रेमसुख बिश्नोई को भी जनवरी 2024 में एसीबी ने 35 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए ट्रेप किया था।
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RAS पिंकी मीणा : 10 लाख की रिश्वत लेते गिरफ्तार
जनवरी 2021 में एसीबी ने बांदीकुई (दौसा) की तत्कालीन एसडीएम पिंकी मीणा को 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। एसीबी के मुताबिक पिंकी ने सड़क निर्माण कंपनी से रिश्वत मांगी थी। ऐसा नहीं करने पर सड़क का काम नहीं चलाने का दबाव बनाया था। एसीबी ने पिंकी मीणा के घर भी पहुंची थी। कोर्ट में दायर चार्जशीट के मुताबिक पिंकी ने 6 महीने तक किसानों का मुआवजा अटकाए रखा, ताकि कंपनी पर घूस लेने का दबाव बनाया जा सके। दौसा के एसपी रहते हुए आईपीएस मनीष अग्रवाल पर भी रिश्वत लेने के आरोप लगे और एसीबी ने उन्हें भी गिरफ्तार किया था। वे कई महीनों तक जेल में रहे। फिर सस्पेंड रहे। हाल ही में बहाल हो गए और वर्तमान में वे पुलिस मुख्यालय में कार्यरत हैं।
आरएएस पिंकी मीणा सहित कई अफसरों की मुश्किलें बढी
दौसा में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत सड़क निर्माण के दौरान पिंकी मीणा दौसा में एसडीएम थी। उन्हें सड़क निर्माण करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों से 10 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। पिंकी मीणा के साथ एक और एसडीएम (पुष्कर मित्तल) को भी गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 2024 में आरएएस अफसर बंशीधर योगी को भी दो लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। ऐसे कई और अफसर हैं जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रकरण सामने आए थे। अब वे अफसर मुश्किल में हैं। सरकार भ्रष्ट अफसरों को अनिवार्य सेवानिवृत्त करने के बारे में कठोर निर्णय ले सकती है।
पूर्व में हो चुकी ऐसी कार्रवाई
आपको याद होगा राजस्थान कैडर के आईपीएस इंदु भूषण को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी थी। हालांकि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई केस नहीं था लेकिन अपने आचरण को लेकर वे हमेशा विवादों में रहे थे। एक बार वे हैदराबाद ट्रेनिंग प्रोग्राम में गए तो वहां पर भरी सभा में राज्यपाल ईएसएल नरसिम्हन से भिड़ गए। बाद में उन्हें ट्रेनिंग प्रोग्राम से जबरन निकाल कर जयपुर भेजा गया। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने अगस्त 2018 में आईएफएस जुल्फिकार अहमद खान को भी जबरन रिटायर किया था। उन्होंने छह साल तक सालाना गोपनीय रिपोर्ट नहीं भरी थी। रिश्वत में अस्मत मांगने वाले राजस्थान पुलिस सेवा के अफसर कैलाश बोहरा को भी पूर्ववर्ती सरकार नौकरी से बर्खास्त कर चुकी है।