श्री माणक चंद यति राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय साईंयों का तला मे एक अभिनव पहल ।गुरु और शिष्य स्नेह मिलन समारोह हुआ आयोजित। कैन्दीय विधालय जालीपा के प्राचार्य किशनाराम सेवर के मुख्य अतिथि के सानिध्य मे हुआ सम्पन।।

श्री माणक चंद यति राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय साईंयों का तला में गुरु और शिष्य के स्नेह मिलन समारोह का शुभारंभ

यह अर्पण की भूमि, यह तर्पण की भूमि, यह समर्पण की भूमि है और यह संतों की तपोभूमि है। ऐसी पवित्र भूमि पर स्थित श्री माणक चंद यति राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय साईंयों का तला में एक अभिनव पहल का शुभारंभ हुआ। विद्यालय परिसर में गुरु और शिष्य का स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया, जो एक अनूठा और प्रेरणादायक कार्यक्रम था।

इस समारोह में विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों के बीच स्नेह और विश्वास का एक अद्भुत आदान-प्रदान हुआ। यह आयोजन गुरु और शिष्य के रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। गुरु शिष्य के रिश्ते में जो प्रेम, विश्वास और शिक्षा का आदान-प्रदान होता है, वह समाज के निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

समारोह का मुख्य उद्देश्य छात्रों को यह समझाना था कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक पहलू को बेहतर बनाने में सहायक है। गुरु के मार्गदर्शन से ही छात्र अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानते हैं और सफलता की दिशा में अग्रसर होते हैं।

इस विशेष अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य ने अपने भाषण में कहा कि शिक्षा और संस्कारों का सामंजस्य ही एक अच्छे नागरिक का निर्माण करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से छात्रों में एकता, प्रेम और सम्मान का भाव विकसित होता है।

समारोह में छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से गुरु के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया। छात्रों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिसमें संगीत, नृत्य और नाटक जैसे विभिन्न कला रूपों का समावेश था। इस कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षकगण भी शामिल हुए, जिन्होंने अपने अनुभवों और ज्ञान के माध्यम से विद्यार्थियों को प्रेरित किया।

कार्यक्रम के समापन पर एक विशेष धन्यवाद ज्ञापन दिया गया, जिसमें विद्यार्थियों और शिक्षकों के योगदान की सराहना की गई। यह स्नेह मिलन समारोह एक नई पहल का प्रारंभ था, जो भविष्य में भी इस विद्यालय में आयोजित किया जाएगा।

समारोह ने यह संदेश दिया कि गुरु और शिष्य का संबंध हमेशा पवित्र और आदर्श होता है, और इस प्रकार के आयोजनों से शिक्षा की महत्वता और गुरु-शिष्य के रिश्ते को नई दिशा मिलती है।

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