
रूमा देवी राजस्थान के बाड़मेर जिले की एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता और कारीगर हैं, जिन्होंने पारंपरिक हस्तशिल्प के माध्यम से हजारों महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। आठवीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के बाद, उन्होंने अपने समुदाय की महिलाओं को संगठित कर हस्तशिल्प के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया।रूमा देवी ने 75 महिलाओं के साथ मिलकर एक स्वयं सहायता समूह की स्थापना की, जिसका उद्देश्य पारंपरिक कढ़ाई और सिलाई के माध्यम से उत्पादों का निर्माण और विपणन करना था। उनकी इस पहल से न केवल स्थानीय हस्तशिल्प को प्रोत्साहन मिला, बल्कि महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता भी प्राप्त हुई। आज, उनके नेतृत्व में 22,000 से अधिक महिलाएं इस आंदोलन से जुड़ी हैं, जो विभिन्न हस्तशिल्प उत्पादों का निर्माण करती हैं।उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है। उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी अपने कार्यों की प्रस्तुति दी है, जिससे वैश्विक स्तर पर उनकी पहचान बनी है। उनकी कहानी महिलाओं के सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की मिसाल है।