
बाड़मेर | पंचायत समिति धौरीमना के एक छोटे से गांव पाबुबेरा में स्टेट अवार्डी शिक्षक जगदीश प्रसाद बिश्नोई ने मानवता और करुणा की मिसाल पेश की। उनकी सतर्कता और त्वरित कार्रवाई ने एक हिरण के बच्चे की जान बचाई।
》घटना का विवरण घटना उस समय की है जब बिश्नोई जी अपने क्षेत्र में गश्त पर थे। अचानक उन्होंने देखा कि कुत्तों का एक झुंड एक मादा हिरण पर हमला कर रहा है। मादा हिरण को बचाने की कोशिश में वे वहां पहुंचे, लेकिन तब तक वह गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। कुत्तों ने उसे इस कदर घायल कर दिया कि अत्यधिक रक्तस्राव के कारण मादा हिरण ने दम तोड़ दिया। हालांकि मादा हिरण के पास उसका एक छोटा बच्चा मौजूद था, जो डरा और सहमा हुआ था। बिश्नोई जी ने तुरंत स्थिति को संभाला और उस छोटे हिरण को सुरक्षित स्थान पर ले गए।
》हिरण के बच्चे की देखभाल: जगदीश प्रसाद बिश्नोई ने इस छोटे हिरण की देखभाल का जिम्मा उठाया। उन्होंने उसे दूध पिलाया और सुरक्षित माहौल प्रदान किया। वन विभाग को भी इस घटना की सूचना दी गई ताकि हिरण के बच्चे को उचित संरक्षण मिल सके।
》जगदीश प्रसाद बिश्नोई का बयान: बिश्नोई जी ने कहा, “वन्यजीव हमारे पर्यावरण का अहम हिस्सा हैं। उनका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। जब मैंने इस छोटे हिरण को देखा तो मुझे उसकी मां की मौत का गम हुआ, लेकिन उसे बचाकर मुझे संतोष मिला।”
》वन्यजीव संरक्षण की जरूरत पर जोर: यह घटना न केवल इंसानियत की एक मिसाल है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वन्यजीवों को संरक्षित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी कितनी जरूरी है। वन विभाग के अधिकारियों ने भी बिश्नोई जी के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि ऐसी घटनाएं समाज में जागरूकता लाने में मददगार साबित होती हैं।
》स्थानीय लोग कर रहे हैं सराहना: इस घटना के बाद से जगदीश प्रसाद बिश्नोई की हर तरफ सराहना हो रही है। गांव के लोग उनके इस कार्य को प्रेरणादायक मान रहे हैं। बिश्नोई समुदाय, जो कि वन्यजीव संरक्षण के लिए जाना जाता है, के लिए यह घटना गौरव का क्षण है।
》निष्कर्ष: यह घटना न केवल वन्यजीव संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि अगर हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी समझे, तो निस्सहाय प्राणियों की जिंदगी बचाई जा सकती है। जगदीश प्रसाद बिश्नोई जैसे लोगों के प्रयास समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।