दुनिया में नए धर्म की हो गई भविष्यवाणी! जानिए कैसे बनता है नया धर्म, कहां मिलती है इसकी मान्यता 

इंसान के जन्म के समय कोई धर्म ही मौजूद नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे सभ्यताओं का विकास हुआ, लोगों की धार्मिक मान्यताएं भी बनती गई. इसी क्रम में सनातन, इस्लाम, ईसाई या दुनिया के अन्य धर्म आए.

नया धर्म कैसे बनता है

How New Religion Formed: दुनिया में जल्द ही नया धर्म आने वाला है और इसके लिए संयुक्त अरब अमीरात के अबू धाबी में एक सेंटर भी तैयार हो चुका है. यह भविष्यवाणी भारत के एक बड़े इमाम डॉक्टर इमाम उमैर इलियासी ने की है. उन्होंने कहा है कि नया धर्म मुस्लिम, यहूदी और ईसाइयों को जोड़ेगा. यहां तक कि उन्होंने नए धर्म के नाम का भी ऐलान कर दिया है, जिसे ‘इब्राहिम एक फेथ’ कहा जाएगा. 

अब सवाल है कि कोई नया धर्म कैसे बनता है? क्या इसके लिए कोई सेंटर तैयार करना होता है? और सबसे जरूरी सवाल कि किसी नए धर्म को मान्यता कैसे और कहां दी जाती है. आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं. 

पिछले साल भी आई थी खबरें

बता दें, डॉ. इमाम उमैर इलियासी ने यह दावा यूं ही नहीं किया. बीते साल भी ऐसी खबरें आई थीं कि मुस्लिम बाहुल्य अरब में एक नया धर्म अस्तित्व में आया है, जिसके अब्राहम नाम दिया गया है. इस धर्म का लक्ष्य इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्मों के बीच समानता के कारण उनकी दूरियों को मिटाना है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना था कि यह कोई नया धर्म नहीं, बल्कि एक धार्मिक प्रोजेक्ट है. अब इमाम उमैर इलियासी ने नया दावा कर इस पर बहस छेड़ दी है. 

कैसे अस्तित्व में आए तरह-तरह के धर्म 

वास्तव में इंसान के जन्म के समय कोई धर्म ही मौजूद नहीं था, लेकिन जैसे-जैसे सभ्यताओं का विकास हुआ, लोगों की धार्मिक मान्यताएं भी बनती गई. इसी क्रम में सनातन, इस्लाम, ईसाई या दुनिया के अन्य धर्म आए. किसी धर्म को बनने और उसकी मान्यता के लिए सबसे जरूरी तत्व है अध्यात्म. यानी आप अध्यात्म के माध्यम से लोगों को कैसे एक कर पाते हैं उन्हें कैसे परोपकार और मानवता के रास्ते पर चलना सिखा पाते हैं. 

नया धर्म कैसे बनता है?  

इतिहास को पलट कर देखेंगे तो दुनिया के सभी धर्मों की शुरुआत अलग-अलग समय पर हुई और अलग-अलग लोगों द्वारा की गई. फिर चाहें सनातन हो, इस्लाम हो या ईसाई धर्म. सनातन दुनिया का सबसे पुराना धर्म है, जिसकी शुरुआत ज्ञात रूप से 12 हजार साल पुरानी है. वहीं पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह धर्म इससे भी ज्यादा पुराना है. वहीं इस्लाम और ईसाई जैसे धर्म का प्रचार पैगंबर मुहम्मद और ईशा मसीह ने किया. इसी तरह भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म तो महावीर स्वामी ने जैन धर्म की नींव रखी. इन सभी ने अपने विचारों से लोगों को प्रेरित किया और लोगों को जोड़ा. इसी तरह किसी नए धर्म को पनपने के लिए उसकी मान्यताओं और विचारों को बताने वाला होना चाहिए, जिसका लोग अनुसरण करें. 

कैसे मिलती है धर्म को मान्यता?

किसी भी धर्म को मान्यता मिलने के लिए सबसे जरूरी हैं वे विचार जिनका लोग पालन करें और उसे अपनाएं. इसके लिए किसी भाषा में कोई साहित्य होना चाहिए, जिसे लोग पढ़ें और उससे लाभान्वित हों. इस साहित्य में लिखी बातें सर्वमान्य होनी चाहिए और लोगों द्वारा इसे मान्यता मिलनी चाहिए. जब किसी एक विचार या मान्यताओं की बड़ी संख्या में लोग मानने लगते हैं तो एक नए धार्मिक समाज की स्थापना होती है. 

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