स्वप्न का उजाला
उस ओर चलो,जहां सूरज की किरणें हैं
सोने का सिरा,जहां धरती का आंचल है हरियाली से भरा।
जहाँ हवा में बस हो फूलों की महक,
और हर दिल में हो प्रेम की चक।
चलो उस सिद्धांत की ओर,
जहां न हो भेदभाव की दीवार,
जहां हर इंसान हो अपनेपन का नाम।
जहाँ न हो दुःख, न हो उदासी का साया,
बस हो खुशियों का संसार सजा-संवरा।
चलो ऐसी दुनिया है,जहां सपना हो साकार,
जहां मेहनत का हर कतरा हो स्वीकार।
जहां हर सुबह नई उम्मीद,और हर रात कहे,
“सपने देखो, ये सच एक दिन।”
ये जीवन एक कविता है,
चलो इसे जीयें हर लम्हा।
खुशियों के बीज बोट्स में,
और देखें, कैसे खिलता है एक नया सवेरा।