आज, 3 जनवरी, भारत की पहली महिला टीचर्स सावित्रीबाई फुले की 194वीं जयंती है। भारत की पहली महिला शिक्षिका के रूप में जानी जाती हैं सोनिया बाई फुले। उन्होंने यह अनोखी उपलब्धि हासिल की, जब महिलाओं के लिए पढ़ाई तो दूर, घर से बाहर निकलना भी मुश्किल था।सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नयागांव में छोटे से गांव में हुआ था। वह एक दलित परिवार में जन्मी थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन महिला शिक्षा एवं समाज सुधार के लिए समर्पित कर दिया।सावित्रीबाई न केवल एक शिक्षक थीं, बल्कि एक सिद्धांतवादी, कवियित्री और समाज सुधारक भी थीं। उनकी कविताएँ मुख्य रूप से प्रकृति, शिक्षा और जाति के सिद्धांतों पर आधारित थीं। उन्होंने उस समय अंतरजातीय विवाह को भी निरस्त कर दिया था, जब जाति प्रथा अपने चरम पर थी। उनके योगदान को आज भी गर्व और सम्मान के साथ याद किया जाता है।

सावित्रीबाई फुले के कुछ अनमोल विचार:”
1 जो अपनी शक्ति को पहचानता है, वही समाज में परिवर्तन ला सकता है।””
2अगर हम खुद को बदले नहीं, तो कोई और हमारी स्थिति नहीं बदल सकता।””
3शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका इस्तेमाल आप पूरी दुनिया के लिए कर सकते हैं।”
4″महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करना हमारी ज़िम्मेदारी है, और यही सच्ची सामाजिक क्रांति है।”
5″मनुष्य को केवल अपने स्वार्थ का नहीं, बल्कि समाज के कल्याण का भी ध्यान रखना चाहिए।”
6″हमारी शक्ति का स्रोत हमारी शिक्षा और दोस्ती में छिपा हुआ है।”
7″जो हम लेखों के लिए करते हैं, वही हमारे जीवन का मूल उद्देश्य है।”
8″समाज को संगठित करने के लिए हमें अपने अंदर बदलाव लाना होगा।”
इन उपदेशों से सावित्रीबाई फुले ने समाज को सलाह दी और महिलाओं को नशा करने के लिए प्रेरित किया।