
स्वप्न का आकाश सपनों का
एक आसमान था,
ख्वाबों का जहाँ था।
हर कोना रंग से भरा,
उम्मीदों का जहाँ घर था।
चमकते तारे चमकता मैं,
चाँदनी की चाँदनी चमकता मैं।
हर नज़र में एक धुन थी,
हर पल में कोई जुनून था।
सुबह की किरण से सज़ा,
रात का मज़ाक था।

हर राह पर था विश्वास,
हर दिल में था एक उजास।
पहाड़ों की छाँव से बातें करता हूँ,
पहाड़ों के संग में उड़ता हूँ।
पंचियों के गीत सुनता,
हर सुर में प्रेम गुणता।
धरती माँ का आँचल थामे,
सूरज की किरणें मुझ पर टूट पड़ीं।
फूलों की महक थी दोस्त,
हर पल खुशियों में थी बाती।
लेकिन एक दिन बदला है,
सपने की।