
नि: शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम (RTE Act), 2009 के संशोधन, 2024 के अनुसार, अब छात्रों को पाँचवीं और आठवीं कक्षा में फेल किया जा सकता है। इस बदलाव के संभावित प्रभाव निम्नलिखित हो सकते हैं:
सकारात्मक प्रभाव:
शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार: छात्रों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव रहेगा, जिससे वे पढ़ाई को अधिक गंभीरता से लेंगे।
सीखने के स्तर में सुधार: कमजोर छात्रों की पहचान करके उन्हें अतिरिक्त सहायता प्रदान की जा सकती है।
जवाबदेही में वृद्धि: शिक्षक और स्कूल छात्रों को बेहतर शिक्षा देने के लिए और अधिक उत्तरदायी बन सकते हैं।
अनुशासन में वृद्धि: यह नियम छात्रों में शिक्षा के प्रति अनुशासन और ईमानदारी लाने में सहायक हो सकता है।
नकारात्मक प्रभाव:
ड्रॉपआउट दर में वृद्धि: यदि छात्रों को फेल किया जाता है, तो वे हतोत्साहित होकर स्कूल छोड़ सकते हैं।
मानसिक दबाव: बच्चों पर परीक्षा का दबाव बढ़ सकता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
भेदभाव की संभावना: कमजोर पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों को अधिक प्रभावित किया जा सकता है, जिससे असमानता बढ़ सकती है।
शिक्षा का उद्देश्य प्रभावित होना: शिक्षा का उद्देश्य सीखना है, न कि केवल परीक्षा में पास होना। फेल होने का डर छात्रों को रटने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे सकता है।
यह संशोधन शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में एक प्रयास है, लेकिन इसके प्रभाव इस बात पर निर्भर करेंगे कि इसे कैसे लागू किया जाता है और छात्रों के समग्र विकास के लिए क्या समर्थन प्रणाली प्रदान की जाती है।
नि: शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम (RTE Act), 2009 के संशोधन 2024 को भारत सरकार ने लागू किया है। यह संशोधन शिक्षा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और छात्रों को जिम्मेदार बनाना है।
परिवर्तन का कारण:
शैक्षिक स्तर में गिरावट: पहले RTE अधिनियम के तहत, पाँचवीं और आठवीं कक्षा में किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जा सकता था। इसने कई जगहों पर छात्रों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता कम कर दी थी।
सीखने का परिणाम कमजोर होना: कई रिपोर्ट्स और सर्वेक्षणों (जैसे ASER रिपोर्ट) ने यह दिखाया कि प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के छात्रों का सीखने का स्तर अपेक्षित मानकों से नीचे है।
जवाबदेही की कमी: छात्रों को बिना फेल किए अगली कक्षा में प्रमोट करने से शिक्षक और छात्रों दोनों में शिक्षा के प्रति जवाबदेही और प्रेरणा में कमी देखी गई।
शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की मांग: राज्यों और विशेषज्ञों द्वारा यह सुझाव दिया गया कि फेल न करने की नीति (No Detention Policy) को संशोधित किया जाए, ताकि छात्रों को पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित किया जा सके।
सरकार का उद्देश्य:
शिक्षा में गंभीरता लाना: यह सुनिश्चित करना कि छात्र अपनी पढ़ाई के प्रति अधिक जिम्मेदार हों और परीक्षा की तैयारी बेहतर करें।
शिक्षकों को सशक्त बनाना: शिक्षकों को छात्रों के प्रदर्शन के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान करना।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना और सीखने के परिणामों को मजबूत बनाना।
यह परिवर्तन विवादास्पद क्यों है?
कुछ लोगों का मानना है कि यह छात्रों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है और ड्रॉपआउट दर को बढ़ा सकता है। वहीं, अन्य विशेषज्ञ इसे शिक्षा प्रणाली को अधिक प्रभावी और जवाबदेह बनाने का कदम मानते हैं।
सरकार ने इस संशोधन के साथ यह भी प्रावधान रखा है कि छात्रों को फेल करने से पहले उन्हें सुधारने का अवसर और अतिरिक्त सहायता दी जाए।