
जयपुर:
राजस्थान सरकार ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ (एक राष्ट्र, एक चुनाव) के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने मौजूदा सरपंचों के कार्यकाल को बढ़ाने का फैसला किया है। इसके तहत, मौजूदा सरपंच अब प्रशासक के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे, जब तक कि पंचायत चुनाव संपन्न नहीं हो जाते।फैसले के मुख्य बिंदु:1. कार्यकाल में वृद्धि:पंचायती राज विभाग के निर्देशानुसार, जिन सरपंचों का कार्यकाल समाप्त होने वाला था, उन्हें प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जाएगा।2. वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रभाव:यह निर्णय ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के तहत लिया गया है, ताकि राज्य में चुनावों को एक साथ संपन्न कराकर प्रशासनिक लागत और समय की बचत की जा सके।3. लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बनाए रखने पर जोर:प्रशासक नियुक्ति के बावजूद ग्राम पंचायतों के नियमित कार्य और योजनाओं का क्रियान्वयन जारी रहेगा। इस कदम का उद्देश्य विकास कार्यों में किसी भी प्रकार की रुकावट को रोकना है।सरकार का पक्ष:राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम प्रशासनिक स्थिरता और विकास कार्यों की निरंतरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है। ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ नीति के तहत चुनाव एक साथ कराने से राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर समन्वय बेहतर होगा।विपक्ष का विरोध:इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि यह फैसला लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है। उनके अनुसार, प्रशासक के रूप में सरपंचों की नियुक्ति से यह सुनिश्चित नहीं हो पाएगा कि जनता की इच्छाओं का पूरा सम्मान हो रहा है।जनता की प्रतिक्रिया:ग्रामीण क्षेत्रों में इस फैसले को मिलाजुला समर्थन मिल रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे विकास कार्यों में निरंतरता बनी रहेगी, जबकि अन्य इसे जनप्रतिनिधित्व के अधिकार पर हमला मान रहे हैं।भविष्य की योजनाएं:सरकार के अनुसार, आगामी पंचायत चुनाव ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ नीति के तहत अगले आम चुनावों के साथ कराए जाएंगे। इसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं और चुनाव आयोग को इसकी सूचना दे दी गई है।यह फैसला राजस्थान में प्रशासनिक और राजनीतिक तौर पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब यह देखना होगा कि इस निर्णय का जमीनी स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है।