भामाशाह श्री बांकाराम धतरवाल परिवार का सराहनीय योगदान: अखिल भारतीय जाट धर्मशाला ट्रस्ट हरिद्वार को मिला नया आयाम

हरिद्वार: अखिल भारतीय जाट धर्मशाला ट्रस्ट द्वारा हरिद्वार में निर्माणाधीन धर्मशाला भवन के विकास में भामाशाहों का योगदान निरंतर बढ़ रहा है। इसी कड़ी में स्वर्गीय उदाराम जी धतरवाल की स्मृति में उनके परिवार ने धर्मशाला के लिए एक कमरे का निर्माण करवाकर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।

स्व. उदाराम जी धतरवाल की धर्मपत्नी श्रीमती कलुदेवी, उनके पुत्र श्री बांकाराम व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चुनीदेवी (सरपंच), पुत्र-पुत्रवधू श्री गणेशकुमार व श्रीमती रेखा, तथा पौत्र-पौत्री लताशा व आनंद, जो उदाराम की ढाणी, छितर का पार, तहसील बायतू, जिला बाड़मेर के निवासी हैं, ने यह पुण्य कार्य किया है।
परिवार ने धर्मशाला निर्माण में एक कमरे का निर्माण कराते हुए अपनी धार्मिक व सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। यह न केवल परिवार के दिवंगत सदस्य की स्मृति को चिरस्थायी बनाएगा, बल्कि आने वाले समय में हरिद्वार आने वाले यात्रियों और समाज के लोगों के लिए आश्रय स्थल के रूप में सहायक होगा।
धार्मिक और सामाजिक कार्यों की प्रेरणा
धतरवाल परिवार का यह योगदान समाज के अन्य लोगों को भी धर्मशाला जैसे सामूहिक विकास कार्यों में भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा। ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने परिवार के इस महत्वपूर्ण योगदान के लिए आभार व्यक्त किया और इसे धर्मशाला निर्माण कार्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया।
परिवार के प्रति आभार व्यक्त
अखिल भारतीय जाट धर्मशाला ट्रस्ट के अध्यक्ष, सचिव और अन्य सदस्यों ने धतरवाल परिवार का विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सहयोग से धर्मशाला का निर्माण शीघ्र पूरा होगा और यह समाज के सभी वर्गों के लिए एक आदर्श स्थल बनेगा।
समाजसेवा की मिसाल
धतरवाल परिवार का यह प्रयास समाजसेवा की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम है। ट्रस्ट ने सभी समाज के लोगों से इसी प्रकार धर्मशाला निर्माण में सहयोग देने की अपील की है, ताकि यह पवित्र प्रकल्प जल्द ही पूर्ण होकर उपयोग में आ सके।
धतरवाल परिवार का यह कार्य यह सिद्ध करता है कि जब समाज के लोग एकजुट होकर आगे आते हैं, तो बड़े से बड़े कार्य को भी आसानी से पूरा किया जा सकता है। उनका यह योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।
धतरवाल परिवार का योगदान समाज और धर्म के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। ट्रस्ट और समाज के सभी लोग उनके इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हैं।