नया साल नई उम्मीदें

समय सदैव गतिमान है। इसके शब्दकोश में ‘विराम’ शब्द को समाहित ही नहीं किया गया है। सृष्टि के आरम्भ से एक बार जो इसकी यात्रा शुरू हुई तो फिर पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। एक-एक क्षण इसकी श्रीवृद्धि करता रहा है। दिवस,मास, वर्ष, दशाब्दी, शताब्दी, सहस्राब्दी और इसी तरह अनंत काल तक कभी समाप्त नहीं होने वाली इसकी यात्रा जारी रहती है। एक साल के समाप्त होते ही दूसरा शुरू हो जाता है।प्रत्येक साल की समाप्ति पर एक नये साल का आगमन होता है। नया साल सबके लिए नई उम्मीदें लेकर आता है। इन्हीं उम्मीदों से जीवन को एक नई दिशा मिलती है। उम्मीदों में आशा की एक नई किरण दिखाई देती है।उस किरण से होकर एक प्रकाश पूंज आता है जो जीवन की नई मंजिल का रास्ता दिखाते हुए खुद आगे-आगे चलकर हमें हमारे लक्ष्य तक पहुंचाने का एक प्रयास करता है।

वर्ष २०२४ अपने अवसान की ओर बढ़ चुका है।१ जनवरी से शुरू हुई यह यात्रा जनवरी, फरवरी, मार्च, अप्रैल, मई, जून, जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्टूबर और नवम्बर होते हुए दिसंबर तक पहुंच कर साल के अंतिम दिनों तक आ पहुंची है जो शीघ्र ही अंतिम तिथि को भी पार करके नववर्ष के पहली तिथि के रास्ते जनवरी २०२५ में प्रवेश करने वाली है। सबको उस पल का बेसब्री से इंतजार है जब नववर्ष का आगमन होगा। सभी नववर्ष के आगमन का जश्न मनाने के लिए आतुर हैं। कहीं ढोल-ताशे के थाप पर थिरकते हुए गिद्दा और भांगड़ा प्रस्तुत किया जाएगा तो कहीं डिस्को होगा। कहीं गीत-संगीत तो कहीं भजन-संध्या का आयोजन किया जाएगा। कहीं कवि सम्मेलन और शायरों की महफ़िल सजेगी तो कहीं इष्टदेव को छप्पन-भोग समर्पित करके नववर्ष में मंगल कामना की याचना की जाएगी। कहीं कथा-पूजा,हवन, प्रवचन, कीर्तन करके भगवान का आशीर्वाद लिया जाएगा तो कहीं मांस-मछली, दारू-शराब और सुरा-सुन्दरी का दौर चलेगा। पर शायद इतना ही नहीं, बल्कि इससे और भी आगे बढ़कर कई निर्दोष बालाओं के अस्मत से खिलवाड़ और उसके बाद उसकी हत्या तक की घिनौनी करतुतों को भी अंजाम दिया जाता है नववर्ष के आगमन के जश्न को मनाने के लिए। पर ऐसा शायद इसलिए क्योंकि यह तो वास्तविक नववर्ष तो है हीं नहीं।ग्रैगेरियन कैलेंडर में भी प्रारम्भ में मार्च से शुरू होकर दिसंबर तक दस महीने और ३०४ दिनों का वर्ष होता था लेकिन बाद में इसमें जनवरी और फरवरी नामक दो महीने आरम्भ में जोड़ दिए गए। हिंदू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है।इसी तरह इस्लामिक कैलेंडर में भी अलग-अलग समय पर नववर्ष शुरू होता है। बंगाली, तमिल, पंजाबी, गुजराती, आदि कैलेंडरों में भी नववर्ष का समय इससे अलग ही है।

नववर्ष के आगमन को लेकर सबके मन में कई उम्मीदें जन्म लेने लगती हैं। नववर्ष से कई अपेक्षाएं होती है। पुराने साल से सबक लेते हुए नए साल में सबकुछ अच्छा हो, सबकी ऐसी ही कामनाएं होती है। इसके लिए सभी हसीन सपने देखते हैं। परंतु सिर्फ सपने देखना ही काफी नहीं होता है बल्कि इन सपनों को पूरा करने के लिए सदैव संघर्षरत रहना पड़ता है।मेरी भी आने वाले नववर्ष से कुछ अपेक्षाएं हैं। हमारा देश भारत सदैव आगे बढ़ते हुए मानवता की नई मिसाल संसार के आगे प्रस्तुत करे ऐसी आशा है। ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में नित्य नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए आकाश, पाताल और पृथ्वी पर अपनी विजय पताका फहराए। देश के भीतर और बाहर अमन-चैन रहे। पृथ्वी भीतर और बाहर के नित्य नए रहस्यों का उदघाटन हो।नए-नए ग्रह-नक्षत्रों और आकाशवाणी पिंडों की खोज हो। पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों और हिमानियों पर नए-नए शोध हो। भूगोल, खगोल, अंतरीक्ष, ब्रह्माण्ड में नए-नए शोध हो। जीवनदायिनी गंगा, यमुना, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, नर्मदा, आदि पवित्र नदियां कल-कल, छल-छल निनाद करती अपनी पवित्र जल से मां भारती के संतानों को पोषित करती रहें। असंख्य पेड़-पौधे, लता-गुल्म और वनौषधियां भारतवासियों में आरोग्य संवर्धन करते हुए शुद्ध वायु और वर्षाजल से सबको पोषित करें।

भारत का प्रत्येक बालक-बालिकाएं जिसे देश के भविष्य का निर्माण करना हैं, सुशिक्षित और संस्कारवान बनें। वेद, पुराण, उपनिषद्, आरण्यक, संहिता, ब्राह्मण, गीता, महाभारत, रामायण,आदि ग्रन्थों के साथ-साथ ज्योतिष, व्याकरण, खगोल, भूगोल, इतिहास, विज्ञान, गणित, दर्शन, तर्क, आदि शास्त्रों का समुचित ज्ञान प्राप्त करें। इसके साथ ही अंग्रेजी, कम्प्यूटर, सूचना प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में भी पारंगत बनें। रोजगारपरक शिक्षा सभी बच्चों को मिलें।शिक्षक छात्रों में सिर्फ ज्ञान का भण्डार ही नहीं भरें बल्कि उसमें चरित्र और संस्कार का सिंचन करें। भारतीय युवा कर्मठ, कर्तव्यनिष्ठ, सहिष्णु,मातृ, पितृ, गुरु और वृद्धजनों का आदर और सम्मान करने वाले बनें।

नए साल में मैं उम्मीद करता हूं कि हर तरफ सम्पन्नता दिखाई पड़े। कोई निर्धन न रहें। सबको रोजगार प्राप्त हों।निराशा का कहीं नामोनिशान न रहें। सबके मन में सबके प्रति कल्याण की भावना का विकास हो। विश्वबन्धुत्व, प्रेम, सौहार्द्र और भाईचारे की भावना सर्वत्र व्याप्त हो। किसी का किसी के प्रति वैर-भाव न हो। सम्पूर्ण विश्व में सुख-शांति का साम्राज्य स्थापित करते हुए भारत विश्वगुरू का अपना प्राचीन गौरवशाली पद पुनः प्राप्त करे।

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