रूसी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई कैंसर वैक्सीन ने दुनियाभर के कैंसर मरीजों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। यह वैक्सीन 48 घंटों में असर दिखाने का दावा करती है और रोगियों में दोबारा कैंसर लौटने का खतरा नहीं रहेगा।
व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार वैक्सीन
रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रमुख ऑन्कोलॉजिस्ट आंद्रेई काप्रिन के अनुसार, यह mRNA-आधारित वैक्सीन हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग डिज़ाइन की जाती है। यह तकनीक मरीजों के ट्यूमर से सेल्स का सैंपल लेकर उनके आधार पर “ट्यूमर पासपोर्ट” बनाती है। इसके जरिए वैक्सीन डिजाइन की जाती है, जो शरीर में कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करती है।
कीमत और उपलब्धता
एक वैक्सीन का निर्माण लगभग 2.5 लाख रुपये की लागत से होता है। रूस के नागरिकों को यह मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी, जबकि अन्य देशों में इसकी कीमत के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
कैसे काम करती है वैक्सीन?
वैक्सीन के निर्माण में, ट्यूमर के जीन की सीक्वेंसिंग कर कैंसर सेल्स द्वारा बनाए गए प्रोटीन को पहचाना जाता है। इसके बाद mRNA तकनीक का उपयोग कर वैक्सीन बनाई जाती है। यह तकनीक इम्यून सिस्टम को सक्रिय कर शरीर में कैंसर सेल्स को पूरी तरह खत्म करती है।
प्रभावशाली परिणाम
क्लिनिकल ट्रायल के दौरान वैक्सीन ने 80% रोगियों पर प्रभावी परिणाम दिए हैं। इसमें कैंसर सेल्स पर हमला कर उन्हें नष्ट किया गया, जिससे कैंसर के दोबारा लौटने की संभावना न के बराबर हो गई।
यह वैक्सीन उन मरीजों के लिए विशेष रूप से प्रभावी साबित हो सकती है, जिनके लिए मौजूदा उपचार विधियां कारगर नहीं हैं। इस सफलता के साथ रूस ने चिकित्सा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
आगे की योजनाएं
रूस जल्द ही इस वैक्सीन का और व्यापक स्तर पर उत्पादन करने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही, अन्य वैक्सीन पर भी तेजी से काम किया जा रहा है, जो ट्यूमर को सीधे नष्ट करने में सक्षम होंगी।
निष्कर्ष
कैंसर की चुनौती से जूझ रहे मरीजों और चिकित्सा जगत के लिए यह वैक्सीन एक क्रांतिकारी कदम है। इस तकनीक से कैंसर का उपचार व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार संभव होगा और लाखों लोगों को राहत मिलेगी।