राजस्थान में बेरोजगार युवाओं का सब्र अब टूटता नजर आ रहा है। सरकारी नौकरियों में पदों की संख्या बढ़ाने को लेकर युवाओं ने सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन वरिष्ठ अध्यापक (फर्स्ट ग्रेड) और लेक्चरर (सेकेंड ग्रेड) भर्ती परीक्षा में रिक्त पदों की संख्या बढ़ाने की मांग को लेकर किया गया। प्रदर्शन की अगुवाई यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने की।
प्रदर्शनकारी बेरोजगारों ने राजस्थान सरकार से इस भर्ती में अधिकतम पद जोड़ने और फॉर्म दोबारा खोलने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि 15 दिनों के भीतर सरकार ने उनकी मांगों पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो वे सड़कों पर व्यापक आंदोलन करने को मजबूर होंगे। प्रदर्शन के दौरान युवाओं ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसे जिला कलेक्टर टीना डाबी को दिया गया।
वर्तमान भर्ती में पदों की संख्या बेहद कम: अभ्यर्थियों में आक्रोश
राजस्थान सरकार द्वारा हाल ही में वरिष्ठ अध्यापक (Second Grade Teacher) के 2129 पद और लेक्चरर (First Grade Teacher ) के 2202 पद जारी किए गए थे। बेरोजगारों का कहना है कि राज्य में इस समय वरिष्ठ अध्यापक के 34,000 और लेक्चरर के 18,000 पद रिक्त हैं। इन रिक्तियों की तुलना में सरकार द्वारा घोषित पदों की संख्या बहुत ही कम है।
राजस्थान में लाखों युवा लंबे समय से टीचर भर्ती परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। सरकार की इस अल्पसंख्यक भर्ती ने उनके भविष्य को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। बेरोजगार युवाओं का कहना है कि यदि अधिक पदों की घोषणा नहीं की जाती, तो हजारों मेहनती और योग्य उम्मीदवारों को मौका नहीं मिल पाएगा।
रैली निकालकर कलेक्ट्रेट पहुंचे युवा, जमकर किया विरोध प्रदर्शन
सोमवार को यूथ कांग्रेस के नेतृत्व में महावीर पार्क के पीछे बड़ी संख्या में बेरोजगार युवा एकत्रित हुए। वहां से वे रैली के रूप में जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे। प्रदर्शनकारियों के हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां थीं, जिनमें “न्याय दो, नौकरी दो”, “रिक्त पद भरो, भर्ती रिओपन करो”, “बेरोजगारों के हक में फैसला लो” जैसे नारे लिखे थे।

कलेक्ट्रेट के बाहर युवाओं ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और तत्काल भर्ती में पदों की संख्या बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगों को जल्द नहीं माना गया, तो वे उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।
“सरकार हमारी मांगें नहीं मानेगी तो हमें सड़कों पर उतरना पड़ेगा”
प्रदर्शन में शामिल विमला, जो कई वर्षों से टीचर भर्ती की तैयारी कर रही हैं, ने कहा कि सरकार को बेरोजगार युवाओं के भविष्य को देखते हुए यह फैसला लेना चाहिए। उन्होंने कहा—
“हम कई सालों से परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने बहुत ही कम पदों पर भर्ती निकाली है, जिससे हजारों अभ्यर्थियों के सपने अधूरे रह जाएंगे। हमारी मांग सिर्फ इतनी है कि पदों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि सभी को अवसर मिले। यदि सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी, तो हमें मजबूरन सड़कों पर उतरना पड़ेगा।”
यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी ने भी सरकार को चेतावनी दी। उन्होंने कहा—
“बीते 15 वर्षों में यह पहली बार हुआ है कि इतनी कम संख्या में पदों पर भर्ती की जा रही है। राजस्थान में ही करीब 20-25 लाख युवा इस भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। इतने अभ्यर्थियों की तुलना में मात्र कुछ हजार पदों की भर्ती न्यायसंगत नहीं है। यदि सरकार जल्द ही इस पर निर्णय नहीं लेती है, तो बेरोजगार युवा उग्र आंदोलन करेंगे।”
स्कूलों में खाली पड़े हैं हजारों पद, बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित
बेरोजगारों का कहना है कि केवल अभ्यर्थियों को ही नहीं, बल्कि प्रदेश के स्कूली छात्रों को भी सरकार के इस फैसले से नुकसान हो रहा है। राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षक के हजारों पद रिक्त हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
यदि सरकार टीचर भर्ती के पदों को नहीं बढ़ाती, तो आने वाले समय में शिक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों के उज्जवल भविष्य और बेरोजगार युवाओं के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को जल्द से जल्द नई विज्ञप्ति जारी कर अधिकतम पदों पर भर्ती करनी चाहिए।
बेरोजगारों की मांगें :-
1.वरिष्ठ अध्यापक और लेक्चरर भर्ती परीक्षा में अधिकतम पद जोड़े जाएं।
2.नई विज्ञप्ति जारी कर फॉर्म को दोबारा रिओपन किया जाए।
3.राज्य में खाली पड़े सभी शिक्षक पदों को जल्द से जल्द भरा जाए।
4.बेरोजगार युवाओं के साथ न्याय हो, ताकि वर्षों की मेहनत बेकार न जाए।
सरकार के सामने चुनौती: क्या होगा अगला कदम?
बेरोजगारों ने सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है। अब देखना यह होगा कि राजस्थान सरकार इन मांगों पर क्या फैसला लेती है। यदि सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया, तो यह विरोध प्रदर्शन और अधिक उग्र हो सकता है।
बेरोजगार युवाओं की इस मांग से प्रदेशभर में हलचल मची हुई है। यह मुद्दा केवल युवाओं का नहीं बल्कि शिक्षा व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है। सरकार के निर्णय का सीधा असर लाखों बेरोजगार युवाओं के भविष्य और राजस्थान के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता पर पड़ेगा।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या सरकार बेरोजगारों की मांग को पूरा करेगी या फिर आंदोलन और तेज होगा?