धोरीमन्ना (6 फरवरी) – “जहां पर्यावरण सेवक, वहां नशे की मनुहार नहीं” – यह संदेश अब न केवल गांव-गांव में बल्कि हर समारोह में गूंजने लगा है। पर्यावरण सेवक अपनी टीम के साथ समाज में एक मजबूत बदलाव की दिशा में काम कर रहे हैं। इनकी मुहिम जल संरक्षण, नशामुक्ति, सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध और जूठन मुक्त भोजनशालाओं के माध्यम से जन जागरूकता फैलाने का है।
टीम के सह-प्रभारी और राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षक, जगदीश प्रसाद विश्नोई ने बताया कि यदि हमें प्रकृति को बचाना है तो हमें पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना होगा। साथ ही, मानव जीवन को स्वस्थ रखना है तो नशे से दूर रहना होगा। इस संदेश के साथ, “कोशिश पर्यावरण सेवक” टीम गांव-गांव, घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही है।
इसी जागरूकता अभियान के तहत, टीम शशी बेरी गांव में आयोजित एक सामाजिक समारोह में पहुंची और वहां पर्यावरण प्रदर्शनी लगाकर समारोह स्थल को पर्यावरणमय बना दिया। यह कदम समाज के प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित करने और उनकी नैतिक जिम्मेदारी को समझने के लिए था।
जूठन मुक्त भोजनशाला और अन्न का आदर
टीम ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया – भोजनशाला में अन्न का आदर करने और भोजन को जूठा न छोड़ने के लिए लोगों को जागरूक किया। इसके लिए पर्यावरण सेवक गले में तख्तियां लटकाकर भोजनशाला में घूमते हैं और माइक से लोगों को अन्नदेव के प्रति सम्मान दिखाने की अपील करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, भोजनशाला जूठन मुक्त नजर आती है, और व्यर्थ भोजन बचाया जाता है जो जरूरतमंदों तक पहुंच सकता है।
जल संरक्षण का संदेश
वहीं, जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए टीम जल स्टॉल लगाकर तांबे के लोटों से जलपान कराती है और लोगों को प्राचीन भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए प्रेरित करती है। साथ ही जल बचाने का संदेश भी देती है।
समाज सुधार की ओर एक सशक्त कदम
यह मुहिम केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश नहीं देती, बल्कि नशामुक्ति, सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त और जूठन मुक्त समाज की दिशा में भी काम कर रही है। इस अभियान को लेकर जनता में जागरूकता फैलाई जा रही है और लोगों को इसके महत्व के प्रति संवेदनशील किया जा रहा है।
इस अभियान में पर्यावरण सेवक टीम के सदस्य जैसे – राज्य स्तर सम्मानित शिक्षक जगदीश प्रसाद विश्नोई, गंगाराम खिचङ, गुमानाराम साऊ, हरिकिशन खिचङ, श्रीराम ढाका, मोहनलाल कालिराणा और गोपाल सियाक का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने पूरे दिन निस्वार्थ भाव से समाज को पर्यावरण संरक्षण और मानव कल्याण के लिए प्रेरित किया।
समाज में बदलाव लाने के लिए यह मुहिम बेहद प्रभावशाली साबित हो रही है और हम सभी से अपेक्षाएं हैं कि हम इसे अपने जीवन में उतारें और पर्यावरण व समाज की रक्षा के लिए हाथ बढ़ाएं।