राजस्थान मे बदलेगा पंचायती राज का ढाचा।20जनवरी से शुरु होगा पुनर्गठन।

जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट बनेंगे घर के पास, पंचायत भी बदल सकेंगे:राजस्थान में बदलेगा पंचायती राज का ढांचा, 20 जनवरी से शुरू होगा पुनर्गठन..!!

जयपुर

राजस्थान में ग्राम पंचायत से लेकर पंचायत समितियां और जिला परिषदों के पुनर्गठन का खाका तैयार हो गया है। प्रदेश में 20 जनवरी से लेकर 15 अप्रैल के बीच पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का काम होगा।

इसमें नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां बनाने के साथ-साथ मौजूदा पंचायती राज संस्थाओं की सीमाओं में भी बदलाव होगा।

इसके लिए जनसंख्या और दूरी के पुराने मापदंडों में इस बार छूट दी गई है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जैसे कार्याें के लिए अब अधिक दूर नहीं जाना पड़ेगा।

20 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच पूरी करनी होगी प्रक्रिया

नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए कलेक्टर 20 जनवरी से 18 फरवरी तक कलेक्टर प्रस्ताव तैयार करेंगे। पुनर्गठन करने के बारे में 20 फरवरी से लेकर 21 मार्च तक आपत्तियां मांगी जाएगी।

23 मार्च से 1 अप्रैल तक ड्राफ्ट प्रस्ताव के बारे में जनता से मिली आपत्तियां और सुझावों का निपटारा किया जाएगा। 3 अप्रैल से 15 अप्रैल तक प्रस्ताव पंचायती राज विभाग को भेजने होंगे।

जनसंख्या की सीमा भी निर्धारित

राजस्थान में बनने वाली नई ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के लिए जनसंख्या का आधार 2011 की जनगणना ही रहेगी। सामान्य इलाकों में ग्राम पंचायत के पुनर्गठन और नई ग्राम पंचायत बनाने के लिए कम से कम 3000 की जनसंख्या की सीमा रखी गई है। अधिकतम 5500 की जनसंख्या सीमा रहेगी।

रेगिस्तानी जिलों के लिए अलग नियम

रेगिस्तानी जिलों के इलाकों में ग्राम पंचायत की अधिकतम जनसंख्या 4000 रखी गई है। इससे ज्यादा जनसंख्या पर अलग से ग्राम पंचायत बनेगी।

बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और बारां जिले की किशनगंज और शाहाबाद तहसीलों में न्यूनतम और अधिकतम जनसंख्या के मापदंडों में छूट दी गई है।

रेगिस्तान जिलों बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर में डेढ़ लाख की आबादी और 40 से ज्यादा ग्राम पंचायत वाली पंचायत समितियों को पुनर्गठित किया जाएगा।

अब रेगिस्तान जिलों में 20 ग्राम पंचायत पर एक पंचायत समिति बन सकेगी। बारां जिले के सहरिया बहुल किशनगंज और शाहबाद क्षेत्र में भी यही मापदंड लागू होंगे।

लोगों की मांग पर पंचायत के इलाके बदल सकेंगे

स्थानीय लोगों की मांग पर नई पंचायत बन सकेगी। इलाके को दूसरी पंचायत में शामिल किया जा सकेगा। अगर किसी इलाके के लोग मौजूदा ग्राम पंचायत की जगह उनके वार्ड या इलाके को दूसरी पंचायत में शामिल करना चाहते हैं।

इसकी मंजूरी दी जा सकेगी, लेकिन उसे दूसरी ग्राम पंचायत के मुख्यालय से उसे इलाके की दूरी 6 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

पंचायत के पुनर्गठन में एक राजस्व गांव एक ही पंचायत में रहेगा। गाइडलाइन में यह भी है कि किसी भी पंचायत का पूरा क्षेत्र ही किसी विधानसभा सीट में होना चाहिए।

2 लाख से ज्यादा आबादी वाली पंचायत समितियां टूटेंगी

प्रदेश में 2 लाख या इससे ज्यादा आबादी और 40 या इससे ज्यादा ग्राम पंचायत वाली पंचायत समितियां का पुनर्गठन करके उनसे नई यूनिट बनाई जाएगी।

अब 25 ग्राम पंचायत पर एक पंचायत समिति बनेगी जबकि पहले 40 पंचायत पर एक पंचायत समिति बनती थी। पुनर्गठन में नजदीक की पंचायत को नई पंचायत समिति में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन एक ग्राम पंचायत को बताकर दो पंचायत समितियां में नहीं रखा जाएगा।

जहां सरकारी दफ्तर हो या जमीन, वहीं मुख्यालय

नई ग्राम पंचायत के मुख्यालय को लेकर भी कलेक्टरों को सरकार ने गाइडलाइन दी है। उसके मुताबिक नई बनने वाली ग्राम पंचायत का मुख्यालय उसी गांव में रखा जाए। जहां पर आने-जाने के साधन हों।

दूसरे गांव से उसका संपर्क आसान हो। पंचायत भवन, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, पटवार भवन, किसान सेवा केंद्र और दूसरे सरकारी दफ्तर भी हों या इन्हें बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो।

तहसीलदार और पटवारी के सहयोग से एसडीओ की निगरानी में ग्राम पंचायत और पंचायत समितियां के पुनर्गठन के प्रस्ताव तैयार होंगे। पुनर्गठन के इन प्रस्ताव पर जनता की आपत्तियां और सुझाव लेने के लिए 20 फरवरी को नोटिस प्रकाशित करवाया जाएगा।

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प्रदेश में इस साल ग्राम पंचायतों से लेकर पंचायत समितियों और जिला परिषदों की संख्या बढ़ेगी। कैबिनेट ने 28 दिसंबर 2024 को ही पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन करने का फैसला किया था। कैबिनेट के फैसले के बाद अब पंचायती राज विभाग ने पुनर्गठन की तैयारी शुरू कर दी है।

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