
बाड़मेर | 7 जनवरी 2018 को राजस्थान के बाड़मेर की धरती पर वह ऐतिहासिक दिन था, जब लाखों किसानों और जवानों ने एकत्र होकर अपनी समस्याओं और अधिकारों के लिए हुंकार भरी। यह दिन राजस्थान के इतिहास में एक ऐसी घटना के रूप में दर्ज हो गया, जिसने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश में किसानों और जवानों के मुद्दों को लेकर नई ऊर्जा का संचार किया। इस ऐतिहासिक किसान हुंकार महारैली का आयोजन तत्कालीन खींवसर के निर्दलीय विधायक और वर्तमान में नागौर से सांसद एवं रालोपा (राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी) के संयोजक श्री हनुमान बेनिवाल के नेतृत्व में किया गया था। रैली ने किसानों और जवानों की समस्याओं को राजनीतिक और सामाजिक मंच पर मजबूती से उठाने का काम किया।

किसान और जवानों की हुंकार इस महारैली में लाखों किसान और जवान बाड़मेर की धरती पर एकत्र हुए। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य किसानों की समस्याओं जैसे ऋण माफी, उचित समर्थन मूल्य, सिंचाई के साधनों की उपलब्धता, तथा जवानों के हितों को लेकर एकजुटता प्रदर्शित करना था। रैली के दौरान श्री हनुमान बेनिवाल ने किसानों और जवानों के अधिकारों की जोरदार वकालत की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर किसान और जवान मजबूत हैं, तो ही देश मजबूत हो सकता है। उन्होंने वादा किया कि वे हमेशा किसानों और जवानों की आवाज बनकर उनके अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहेंगे।
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव यह रैली राजस्थान के राजनीतिक परिदृश्य में एक मील का पत्थर साबित हुई। रैली के माध्यम से न केवल किसानों और जवानों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली, बल्कि यह आयोजन रालोपा के लिए भी एक महत्वपूर्ण आधार बना। रैली में श्री हनुमान बेनिवाल ने अन्य राजनीतिक दलों से अलग हटकर किसानों और जवानों के मुद्दों को प्राथमिकता देने का संकल्प लिया। इसने राज्य की राजनीति में एक नई दिशा प्रदान की और किसानों व जवानों की आवाज को सशक्त बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

हनुमान बेनिवाल: किसान और जवानों की एकमात्र आवाज श्री हनुमान बेनिवाल आज भी राजस्थान और देशभर में किसानों और जवानों के लिए संघर्षरत हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और साहस ने उन्हें लाखों लोगों का प्रिय नेता बना दिया है। उनकी राजनीतिक यात्रा इस बात का प्रमाण है कि वे जनता के लिए समर्पित हैं और उनकी प्राथमिकता हमेशा आम जनता के मुद्दे ही रहे हैं।
रैली का महत्व 7 जनवरी 2018 की यह रैली न केवल एक आयोजन थी, बल्कि यह किसानों और जवानों की एकता और संघर्ष का प्रतीक बन गई। यह दिन उन लाखों लोगों के हौसले और साहस का साक्षी है, जिन्होंने अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाई। बाड़मेर की इस ऐतिहासिक किसान हुंकार महारैली ने यह संदेश दिया कि जब किसान और जवान एकजुट होते हैं, तो वे बड़ी से बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और अपने अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। यह आयोजन आज भी संघर्ष और एकजुटता की प्रेरणा देता है।