बेशक भारत ने अंतरिक्ष में अपने यात्री नहीं पहुंचाए हैं। लेकिन उसके लिए ये अहम पर्यवेक्षण जरूर है, जो सिर्फ समय की बात रह गई है. लेकिन इससे आगे क्या? भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो में भी कुछ ऐसी ही सोच है और जब हम आगे के बारे में सोचते हैं तो भारत के गगन यान के बाद बहुत से लक्ष्य निर्धारित होते हैं। इनमें से एक अंतरिक्ष और चंद्रमा और मंगल जैसे स्थानों पर मनुष्यों का लंबे समय तक निवास काबिल बनाना प्रमुख है। इसी दिशा में अंतरिक्ष में खेती से संबंधित प्रयोग नासा और चीन जैसे देश लंबे समय से कर रहे हैं और अब भारत ने भी इसकी शुरुआत कर दी है। उसने हाल ही में अंतरिक्ष में बीच में दोस्ती की है जिसमें जल्दी ही दोस्त आने वाली हैं।
स्पेस कल्टिवेशन की जरूरत
सुनने में यह कोई बड़ी उपलब्धि नहीं लगती है, लेकिन यह बताती है कि इसरो स्पेस रिसर्च में एक बड़ी छलांग लगाने को तैयार है. स्पेस में खेती एक ऐसा विषय है जिस पर बड़ी स्पेस एजेंसी बहुत गंभीरता और गहराई से काम कर रही है. अब स्पेस रिसर्च केवल स्पेस में कुछ दिनों के लिए इंसानों के भेजने का काम नहीं रह गया है.
एक बहुत ही गंभीर क्षेत्र
वैज्ञानिक इंसानों की लंबी उपस्थिति के लिए स्पेस स्टेशन या चंद्रमा या मंगल जैसी जगहों पर भोजन पैदा करने की काबिलियत हासिल करने की जरूरत महसूस करते हैं. स्पेस कल्टिवेशन का महत्व मंगल ग्रह तक या गहरे अंतरिक्ष अभियानों में भोजन की लंबे समय तक जरूरत को देखते हुए महसूस हो रहा है. अभी तक स्पेस ट्रैवल में एस्ट्रोनॉट्स को भोजन पृथ्वी से ही ले जाया जाता था.
इसरो के लिए एक बड़ी उपलब्धि
लेकिन आप किसी यात्रा पर जाने के लिए कितने दिनों का खाना अपने साथ ले सकते हैं। यही नहीं सवाल वैज्ञानिक भी अंतरिक्ष यात्रियों के मामले में महसूस कर रहे हैं और डीपीएस अंतरिक्ष मिशन से संबंधित विवरणों को पहचान रहे हैं। साफा है अंतरिक्ष में खेती का सबसे पहला कदम अंतरिक्ष में पौधा उगाना है और इसरो ने यही उपलब्धि या उपलब्धि हासिल की है।

कौन कौन से देश कर रहे हैं इस पर काम
अमेरिका, रूस और चीन इस पर बहुत काम कर ही रहे हैं और काफी आगे भी निकल चुके हैं. रोचक बात ये है कि जापान और कई यूरोपीय देश भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में अपने स्वतंत्र प्रयोग कर चुके हैं. इस तरह से गौर किया जाए तो दुनिया का हर वो देश जिसके एस्ट्रोनॉट्स स्पेस में जा चुके हैं, वह इस क्षेत्र में काम कर रहा है.
नासा ने किया है सबसे ज्यादा काम
स्पेस कल्टिवेशन या स्पेस फार्मिंग के क्षेत्र में सबसे ज्यादा काम उसकी स्पेस एजेंसी नासा ने किया है. नासा ने इस में लगातार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में काम किए हैं. वह कई सब्जियां, जैसे लूटेस, चीनी पत्तागोभी, सरसों, लाल रूसी काले, जिन्नया फूल ऊगाने मे सफलता पाई है और इसका उत्पादन भी शुरू दिया है. यहां तक कई एस्ट्रोनॉट्स स्पेस स्टेशन में वहां की उगाई सलाद भी खाते हैं.
रूस और चीन भी पीछे नहीं
अमेरिका के बाद रूसियों ने भी अंतरिक्ष में अपनाए गए औज़ारों को खासे सफल प्रयोग किया है। और अपने आगामी निजी अंतरिक्ष स्टेशन में बड़े पैमाने पर इस तरह के प्रयोग कर चुका है और अपने आगामी निजी अंतरिक्ष स्टेशन में औद्योगिक स्तर पर खेती की योजना भी बना रहा है। इसके अलावा चीन ने भी अंतरिक्ष अभियानों के साथ-साथ स्पेस फॉर्मिंग या कल्टीवेशन पर शोध जारी किया है और वह भी काफी आगे है।