
हॉस्पिटल में तोड़ा दम, दावा है कि मवेशियों को पानी पिलाते समय पैर फिसलने से हुआ हादसा।
बाड़मेर पुलिस ने पोस्टमॉर्टम के बााद शव परिजनों कों सौंप दिया। परिजनों का कहना है कि मवेशियों को पानी पिलाते समय पैर फिसलने से 16 साल की लड़की टांके में गिर गई। चिल्लाने की आवाज सुनकर परिजन और आसपास के लोगों ने उसे बाहर निकाला। हॉस्पिटल लेकर आए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना बाड़मेर के सदर थाना इलाके महाबार वांकलपुरा गांव में बुधवार सुबह की है। सूचना पर पुलिस हॉस्पिटल पहुंची। शव को कब्जे में लेकर हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी में शिफ्ट करवाया।
पुलिस के अनुसार महाबार वांकलपुरा गांव निवासी शक्ति (16) पुत्री मुलाराम बुधवार को सुबह खेत में बने टांके पर मवेशियों को पानी पिला रही थी। इस दौरान उसका पैर फिसलने से वो टांके में गिर गई। चिल्लाने की आवाज सुनकर परिजन व आसपास के लोगों ने नाबालिग को टांके से बाहर निकाला।
बाड़मेर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। वहां पर इलाज के दौरान लड़की ने दम तोड़ दिया। सदर थाना पुलिस भी हॉस्पिटल पहुंची। मृतका के शव को कब्जे में लेकर मॉर्च्युरी में रखवाया गया।
सदर थाने के हेड कॉन्स्टेबल दुर्गसिंह ने बताया कि परिजनों की रिपोर्ट पर मृग दर्ज कर ली है। वहीं मृतका के शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किया गया है। परिजनों ने बताया कि नाबालिग पढ़ाई करती थी।
सच्चाई: हालांकि बाड़मेर में हर दिन किसी न किसी का पैर फिसलता ही रहता है। हर दिन केवल महिलाओं के ही पैर क्यों फिसल रहे हैं? यह अपने आप में बड़ा सवाल है। इसकी वजह साजिशन हत्या, मानसिक यातना, बेवजह शक, पारिवारिक दबाव, आपसी कलह, बालविवाह, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की कमी आदि में से कुछ भी हो सकता है। लेकिन इस विषय को लेकर कोई गंभीर नहीं है, न समाज, न सरकार, न प्रशासन और न ही मिडिया। पुरा तंत्र एवं समस्त जिम्मेदार लोग वास्तविक अपराधी को बचाने के लिए झूठमूठ कहानी रचकर हत्या का कारण बदलकर दुर्घटना का रुप दे देते हैं। हालांकि ऐसी घटनाओं में गहन जांच होनी चाहिए और अपराधी की कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि आगे से किसी को जान बच सके।