
जब पूरा देश गर्मी की चपेट में है, तब बाड़मेर कैसे पीछे रह सकता है! यहां की धरती आज फिर से अंगारे उगल रही थी। तापमान 43°C के पार पहुंच गया, और ऐसा लग रहा था जैसे सूरज खुद बाड़मेर की सैर पर निकल आया हो। छतों पर कबूतर भी छांव ढूंढते नज़र आ रहे थे!
गर्मी नहीं, गुस्सा भी है गर्म!
इतनी गर्मी में अस्पताल जाना किसी तपस्या से कम नहीं, लेकिन सोचिए अगर इलाज से पहले डॉक्टर पूछे, “वोट किसे दिया?” तो?
जी हां! आज बाड़मेर के एक सरकारी अस्पताल में एक मरीज से इलाज से पहले उसकी राजनीतिक पसंद पूछी गई। वीडियो वायरल हुआ, और जनता की प्रतिक्रिया भी ठीक बाड़मेर की लू जैसी तेज़ थी — “इलाज दो, इन्टर्व्यू नहीं!”
रिफाइनरी की रफ़्तार धीमी, पर उम्मीद बरक़रार
बाड़मेर की HPCL रिफाइनरी जो कि पूरे जिले के लिए एक सपना है, उसमें कुछ तकनीकी पेंच फंस गए हैं। लेकिन कंपनी का कहना है कि 2026 की दूसरी छमाही तक यह चालू हो जाएगी। तब तक हम गर्मी में झुलसते हुए इसका इंतज़ार करते रहेंगे!
गांव की गलियों से – गर्मी के देसी उपाय
नोट टू सेल्फ: अगली बार अप्रैल में बाड़मेर आने से पहले खस की चप्पल, छाता और दो लीटर छाछ साथ लाना ना भूलूं!
जहां एक ओर एयर कंडीशनर फेल हो रहे हैं, वहीं गांवों में खस की टट्टी, छाछ और ठंडी रबड़ी से लोग गर्मी को मात दे रहे हैं। हर गली में लस्सी का ठेला, हर आंगन में पानी का मटका – यही है बाड़मेर की असली ठंडक!