
नई शिक्षा नीति 2020 लागू होने के बाद शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके बारे में सबको जानकारी होना बहुत जरूरी है
सरकार ने भारत की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है, जिसमें मौजूदा 10+2 के ढांचे को बदलकर 5+3+3+4 का नया ढांचा लागू किया जाएगा। यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य शिक्षा को अधिक समग्र और व्यावहारिक बनाना है।
मौजूदा ढांचा बनाम नया ढांचा
मौजूदा 10+2 प्रणाली में बच्चे 6 वर्ष की आयु में स्कूल में प्रवेश करते हैं और 16 वर्ष की आयु तक 10वीं कक्षा तक पढ़ाई करते हैं। इसके बाद 2 वर्ष (16-18 वर्ष) की पढ़ाई 12वीं तक होती है। इसके विपरीत, नया ढांचा बच्चों की शुरुआती शिक्षा (अंगनवाड़ी और प्री-स्कूल) को भी औपचारिक शिक्षा प्रणाली का हिस्सा बनाता है। यह प्रणाली चार चरणों में विभाजित है: फाउंडेशनल स्टेज (3-6 वर्ष)
अवधि: 5 वर्ष (3 वर्ष अंगनवाड़ी/प्री-स्कूल + कक्षा 1 और 2)
मुख्य फोकस:
मल्टीलेवल प्ले और एक्टिविटी-बेस्ड लर्निंग।
बच्चों के संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास पर जोर। प्रिपरेटरी स्टेज (8-11 वर्ष)
अवधि: 3 वर्ष (कक्षा 3 से 5 तक)।
मुख्य फोकस:
खेल-केंद्रित और खोजपरक गतिविधियां।
संवाद और इंटरेक्टिव लर्निंग। मिडिल स्टेज (11-14 वर्ष)
अवधि: 3 वर्ष (कक्षा 6 से 8 तक)।
मुख्य फोकस:
विषयों जैसे गणित, विज्ञान, कला, सामाजिक विज्ञान और ह्यूमैनिटीज पर गहन अध्ययन।
व्यावसायिक शिक्षा की प्रारंभिक समझ। सेकंडरी स्टेज (14-18 वर्ष)
अवधि: 4 वर्ष (कक्षा 9 से 12 तक)।
मुख्य फोकस:
मल्टीडिसिप्लिनरी स्टडी।
बच्चों के लिए विषयों का चुनाव।
क्रिटिकल थिंकिंग और स्किल्स पर जोर।
नया ढांचा क्यों है महत्वपूर्ण?
समग्र विकास: इस मॉडल में बच्चों के शुरुआती विकास को भी प्राथमिकता दी गई है।
लचीलापन: विद्यार्थी अपनी रुचियों के अनुसार विषय चुन सकते हैं।
आधुनिक कौशल: क्रिटिकल थिंकिंग और व्यावहारिक स्किल्स को बढ़ावा मिलेगा।
व्यावसायिक शिक्षा का समावेश: मिडिल स्टेज से ही व्यावसायिक शिक्षा का परिचय मिलेगा।
निष्कर्ष
नया 5+3+3+4 ढांचा शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है। यह बच्चों के शुरुआती विकास से लेकर उनके करियर के निर्माण तक एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। यह बदलाव भारत के शिक्षा क्षेत्र को अधिक समावेशी और भविष्य के लिए तैयार बनाएगा।