
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के वरिष्ठ अभ्यर्थियों की अनदेखी
जयपुर, 26 जनवरी 2025 – राजस्थान में हाल ही में हुई प्राचार्य डीपीसी (Departmental Promotion Committee) की चयन प्रक्रिया में वरिष्ठता के स्थान पर जूनियर अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दिए जाने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जाति (SC) के 385 और अनुसूचित जनजाति (ST) के 156 वरिष्ठ अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया, जबकि सामान्य वर्ग के कई जूनियर अभ्यर्थियों को प्राचार्य पद पर चयनित किया गया।
वरिष्ठता का उल्लंघन
चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं को लेकर कई शिक्षकों ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) में वरिष्ठता का पूरा ध्यान नहीं रखा गया, जिससे योग्य एवं अनुभवी अभ्यर्थियों को नुकसान हुआ।
एक शिक्षक संघ के पदाधिकारी ने बताया, “शिक्षा विभाग में डीपीसी के तहत पदोन्नति का आधार वरिष्ठता होता है, लेकिन इस बार सामान्य वर्ग के जूनियर अभ्यर्थियों को तरजीह दी गई, जिससे एससी और एसटी वर्ग के सैकड़ों शिक्षक वंचित रह गए।”
रजिस्टर में गड़बड़ी के आरोप
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि रोस्टर रजिस्टर में कई विसंगतियां पाई गईं। शिक्षकों के सेवा रजिस्टर में हेरफेर कर जूनियर अभ्यर्थियों को आगे बढ़ाया गया, जबकि वरिष्ठ अभ्यर्थियों के अनुभव और पात्रता को नजरअंदाज कर दिया गया।
डीपीसी विवाद पर शिक्षा विभाग की सफाई
शिक्षा विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डीपीसी का निर्धारण तय मानकों के अनुसार किया गया है, लेकिन शिक्षक संघों का आरोप है कि इसमें पारदर्शिता की कमी रही।
एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने कहा, “डीपीसी प्रक्रिया को लेकर जो भी संदेह हैं, उन पर विभाग उचित जांच करेगा। अगर किसी शिक्षक के साथ अन्याय हुआ है, तो उसकी शिकायत पर कार्रवाई की जाएगी।”
संभावित कानूनी कार्रवाई
शिक्षकों के एक वर्ग ने इस प्रक्रिया के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी कर ली है। कई शिक्षक संघों ने हाईकोर्ट जाने का संकेत दिया है ताकि वरिष्ठता के सिद्धांत को बनाए रखा जा सके।
एक शिक्षक नेता ने कहा, “हम इस अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर हमें न्याय नहीं मिला, तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।”
निष्कर्ष
राजस्थान में प्राचार्य डीपीसी की चयन प्रक्रिया में आई अनियमितताओं ने शिक्षा विभाग की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। वरिष्ठ शिक्षकों की अनदेखी से विभागीय पदोन्नति प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कदम उठाते हैं।
(रिपोर्ट: कुमार धरम, “न्यूज इंडिया रिपोर्टर”)