चौहटन में स्थित अमृता देवी विश्नोई बालिका छात्रावास में चल रही सात दिवसीय जाम्भाणी हरिकथा के तृतीय दिवस पर आचार्य स्वामी रामाचार्य महाराज ने कहा कि मनुष्य को वैभव एवं उन्नति के लिए आलस्य और दीर्घसूत्रता का त्याग करना चाहिए ,बिना परिश्रम से घर में दरिद्रता आती हैं। स्वामी जी ने त्रेतायुग के राजा हरिश्चंद्र , पाण्डवों में धर्मराज युधिष्ठिर के बारे में प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को सदैव सद् मार्ग के साथ- साथ धर्म की आचार संहिता का पालन करने को कहा। गुरु जाम्भोजी की शब्दवाणी पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि युवाओं को परिवार व समाज में बड़े बुजुर्गो को मान सम्मान करना चाहिए जिस घर में बड़े बुजुर्गो का मान सम्मान एवं आदर भाव होता है उस घर में लक्ष्मी का वास होता है। मुश्किल समय उनका सहारा बनकर मदद करनी चाहिए।
बहन- बेटियों को समझाते हुए स्वामी रामाचार्य ने बतलाया कि माता -पिता के अलावा संसार में प्रेम देना ओर कोई नहीं हैं। हमें कभी भी माता-पिता को भूलकर परिवार की मर्यादा नहीं तोड़नी चाहिए।
इस अवसर विश्नोई धर्मशाला के निर्माण व विकास में अहम् योगदान देने वाले स्वगीर्य मोबताराम जांगू पूर्व अध्यक्ष विश्नोई सेवा संस्थान चौहटन तथा स्वगीर्य रूगनाथ राम जी खीचड़ कोषाध्यक्ष , विश्नोई सेवा संस्थान चौहटन समाजसेवी को याद किया।
इस दौरान चाडी,खारा,उपरला , चौहटन आगोर,मगरा एवं कापराऊ आदि गावों से बड़ी संख्या में श्रोतागण कथा श्रवण का लाभ लेने के लिए उमड़े।