नई दिल्ली | भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि आज पूरे देश में श्रद्धा के साथ मनाई गई। उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से को ईमानदारी, सादगी और निस्वार्थ भाव से राष्ट्र सेवा में समर्पित किया। उनके गुणों और कार्यों ने उन्हें भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय स्थान दिलाया।श्री शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी शिक्षा वाराणसी में प्राप्त की और बाद में स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी शुरू की। उनका जीवन हमेशा से सत्य, अहिंसा और राष्ट्रीय एकता के सिद्धांतों पर आधारित रहा।श्री शास्त्री जी ने 1964 में भारतीय प्रधानमंत्री का पदभार संभाला, जब देश को कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी प्रमुख उपलब्धियों में 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध है, जिसमें उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का उद्घोष किया। यह नारा आज भी भारतीय किसानों और जवानों के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक बना हुआ है।उनकी सादगी और ईमानदारी की मिसाल आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने किसानों के कल्याण, खाद्य उत्पादन में वृद्धि और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया। उनके द्वारा लागू की गई नीतियों ने भारतीय समाज व अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।इस अवसर पर विभिन्न राजनीतिक दलों, संस्थाओं और आम लोगों ने श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली में अकबर रोड स्थित उनकी समाधि पर लोगों की भीड़ जुटी और शहीदों को याद करते हुए उन्हें फूल अर्पित किए। विभिन्न संगठनों ने उनकी जयंती के अवसर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया, जिसमें उनकी जीवनी, विचारधारा और नेतृत्व पर चर्चा की गई।श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर देशवासियों ने उन्हें शत-शत नमन किया, उनके योगदान को याद किया और उनके ideals को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। उनके सिद्धांतों को आज भी हम अपनी राह में प्रेरणा के रूप में लेते हैं, और उनकी यादें हमें एक समृद्ध, मजबूत और एकजुट भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करती हैं।
