बाड़मेर: डॉक्टर-एसडीएम विवाद का गतिरोध समाप्त, चिकित्सकों ने कार्यबहिष्कार वापस लिया

बाड़मेर | लंबे समय से जिले में चले आ रहे सेड़वा एसडीएम बद्रीनारायण विश्नोई और चिकित्सक डॉ. रामस्वरूप रावत के बीच विवाद को लेकर उत्पन्न गतिरोध आखिरकार समाप्त हो गया है। जिला कलक्टर टीना डाबी की अध्यक्षता में आयोजित वार्ता बैठक में दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई, जिसके बाद चिकित्सक संगठनों ने अपने प्रस्तावित कार्यबहिष्कार को वापस लेने का निर्णय लिया।

समझौते की बैठक में बनी सहमति शनिवार को जिला कलक्टर टीना डाबी के कक्ष में आयोजित बैठक में अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेन्द्र सिंह चांदावत की उपस्थिति में दोनों पक्षों के बीच वार्ता हुई। बैठक में समझाइश के बाद डॉक्टर रामस्वरूप रावत और एसडीएम बद्रीनारायण विश्नोई ने आपसी सहमति व्यक्त करते हुए भविष्य में मिलकर कार्य करने की बात कही। इस दौरान अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (आरएमएस) के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।

चिकित्सकों ने लिया कार्यबहिष्कार वापस बैठक के बाद आरएमएस बाड़मेर के जिलाध्यक्ष डॉ. जोगेश चौधरी ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा की गई मध्यस्थता के बाद संगठन की सभी मांगों पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सक संगठन अब इस प्रकरण को समाप्त मानते हुए किसी भी प्रकार की आगे की कार्यवाही नहीं करेगा। साथ ही, बाड़मेर-बालोतरा जिले के चिकित्सकों द्वारा मंगलवार को ओपीडी का बहिष्कार करने के आह्वान को भी वापस ले लिया गया है

संतुष्ट हैं चिकित्सक, पूर्व की तरह करेंगे कार्य डॉ. चौधरी ने स्पष्ट किया कि संगठन वार्ता के परिणामों से पूरी तरह संतुष्ट है और सभी चिकित्सक पूर्व की भांति अपने कार्यों को सुचारू रूप से जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवाओं में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी और मरीजों की देखभाल को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।

वार्ता में उपस्थित प्रमुख अधिकारी एवं संगठन प्रतिनिधि इस महत्वपूर्ण वार्ता बैठक में जिला कलक्टर टीना डाबी, अतिरिक्त जिला कलक्टर राजेन्द्र सिंह चांदावत, आरएमएस जिलाध्यक्ष डॉ. जोगेश चौधरी, अन्य चिकित्सक संगठन प्रतिनिधि, एसडीएम बद्रीनारायण विश्नोई और डॉ. रामस्वरूप रावत सहित प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।

क्या था पूरा मामला? गौरतलब है कि सेड़वा एसडीएम बद्रीनारायण विश्नोई और चिकित्सक डॉ. रामस्वरूप रावत के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था, जिसके चलते चिकित्सकों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी। इस प्रकरण को लेकर जिले में चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित होने की आशंका थी। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप और वार्ता के सफल आयोजन के बाद अब यह विवाद समाप्त हो चुका है, जिससे आमजन को राहत मिली है।

सामान्य हो रही चिकित्सा सेवाएं अब जब दोनों पक्षों के बीच सुलह हो गई है, चिकित्सक अपने पूर्व निर्धारित कार्यों को बिना किसी बाधा के संचालित करेंगे। प्रशासन और चिकित्सक संगठनों के इस सकारात्मक निर्णय से मरीजों को पुनः सुचारू रूप से चिकित्सा सेवाएं मिलने लगेंगी।

**— रिपोर्ट: ओमप्रकाश नेहरा

Leave a Reply